________________ सिद्ध-सारस्वत की उपाधियों को प्राप्त कर आपको भी गौरवान्वित किया है। यह भी आपके पूर्व-सञ्चित पुण्य का ही प्रभाव है कि आपके द्वारा कई अन्य देशों में भी आपने अपने व्याख्यानों से जैनत्व की प्रभावना कर यश तो अर्जित किया ही, साथ ही साथ एक योग्य स्वर्ण पदक प्राप्त जीवन सङ्गिनी श्रीमति डॉ. मनोरमा जैन (जैनदशर्नाचार्य) के सुयोग्य से जन्मी सभी योग्य एवं उच्च शिक्षित पुत्र-पुत्रियां एवं आपकी पुत्र-वधुयें भी अपने अपने कर्म क्षेत्रों की अग्रणी पंक्तियों में रहते हुए यश एवं वैभव को प्राप्त कर आपकी प्रतिष्ठा को और भी आगे बढ़ा रहे हैं। अन्त में मैं यही कहना चाहूँगा कि किसी भी संस्था विभाग के सर्वोच्च अधिकारी का दायित्व एक असामान्य व्यक्तित्व, कृतित्व और नेतृत्व को व्याख्याङ्कित करता है। जहां कि व्यक्ति पद से अधिक अपने विचार और व्यवहार से मूल्यांकित होता है और अपनी वाणी और व्यवहार की सहजता सरलता और विनम्रता से औरों के अन्दर तक चला जाता है। अपनी इसी मानवीय सहजता सरलता आपकी आत्मशक्ति ने ही आपको पहले ज्ञानी फिर विद्वान् बनाकर आपको संस्कृत-साहित्याकाश में नक्षत्र की भांति चमक देकर शिक्षा जगत को आलोकित करने का सुअवसर दिया / आपके सम्मानार्थ इस सिद्ध-सारस्वत अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन में भावनात्मक रूप से जुड़ते हुए आपके जीवन के उत्कृष्ट मूल्यों का अभिनन्दन करता हूँ। इस सुअवसर पर आपके पूरे परिवार को अपने परिवार की ओर से बधाई देते हुए शत-शत नमन प्रेषित कर हर्षित हैं। अभिनन्दन-ग्रन्थ में कामना सन्तोष' करता यही सहर्ष, साढ़े-सात दशकों के सावन चढ़ गए, प्रिय हमारे सुदर्शनजी, अब रहते शतायु आप, जिऐं हजारों वर्ष-जिऐं हजारों वर्ष। इन्हीं मङ्गलकारी भावनाओं के साथ नवाचार मञ्जूषा पत्रिका परिवार की ओर से भी शुभकामनाएँ। श्री सन्तोष कुमार जैन (सपरिवार) प्रकाशक एवं सम्पादक 'नवाचार मञ्जूषा' पत्रिका, भोपाल मीलपिटास अमेरिका में प्रवचन-प्रभावना मेरी भेंट श्री सुदर्शनजी से अमेरिका में हुई जब वे यहाँ दसलक्षण पर्व पर आए थे। उनका यहां पर बहुत ही बढ़िया कार्यक्रम रहा और पूरे सङ्घ को धर्म लाभ मिला। उनसे उसके बाद भी कई बार भेंट हुई जब-जब भी वे अपने पुत्र के यहां आते रहे। जैन शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता हैं / वैज्ञानिक चिन्तन है। उनकी एक यात्रा के समय हमने उनसे तत्त्वार्थ सूत्र का स्वाध्याय भी किया और धर्म लाभ प्राप्त किया। बहुत ही सरल स्वभावी हैं। हमारी ओर से उनको बहुत बहुत शुभकामनाएँ। श्री अशोक और रेखा सेठी केलिफोर्निया, अमेरिका बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी प्रो. सुदर्शन लाल जी जैन साहब बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं वह सभी को आकर्षित एवं सन्तोष प्रदान करने वाले हैं। प्राकृत एवं जैन दर्शन के क्षेत्र में आपका जो योगदान है वह अतुलनीय है। आप एक सिद्धहस्त लेखक के साथ-साथ समर्पित शिक्षाविद् भी हैं। आपकी लेखनी से अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का लेखन, सम्पादन और प्रकाशन किया जा चुका है। आपके द्वारा लिखित एवं सम्पादित कृतियों में उत्तराध्ययन सूत्र: एक परिशीलन, संस्कृत प्रवेशिका, प्राकृत-दीपिका, तर्कसंग्रह, कर्पूरमञ्जरी, द्रव्यसंग्रह, सम्यग्दर्शन, जैनकुमारसम्भव, पूजन का वैज्ञानिक अनुशीलन, धरती के देवता आदि प्रमुख कृतियाँ है। प्राकृत एवं जैनविद्या की सेवा के लिए आप अनेक संस्थानों से सम्मानित हुए हैं। जैन समाज और प्राकृत विद्वानों के बीच में आपका गौरवपूर्ण स्थान है। आपका अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मान हुआ है। भारत सरकार द्वारा 86