________________ सिद्ध-सारस्वत राष्ट्रपति सम्मान एवं अन्य सम्मानों से पुरस्कृत होने पर भी उनमें लेशमात्र भी अभिमान नहीं है। आपकी सरलता, सादगी, निस्पृहता प्रशंसनीय तथा अनुकरणीय है। आपने अध्यापन कार्य में रत रहते हुए भी अपना समय विद्वत् परिषद्. जैन समाज वाराणसी आदि के लिये सहर्ष, ईमानदारी पूर्वक दिया। जैसे आपको अपने माता-पिता से नैतिक, धार्मिक सुसंस्कार मिले थे, वही आपने अपनी सन्तानों को दिये हैं। 75 वर्ष की उम्र होने पर भी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में आपकी सह-भागिता प्रशंसनीय है। वर्तमान में भोपाल में निवासरत होते हुए वहाँ की समाज में आपका शैक्षणिक प्रवचन आदि योगदान महत्त्वपूर्ण है। वीर प्रभु से मङ्गलकामना है कि आप शतवर्ष पूर्ण करें और आपकी धार्मिक क्षेत्र में सक्रियता मील का पत्थर बने। इसी मङ्गल भावना के साथ इंजी. श्री दिनेश जैन अरिहन्त फर्नीचर्स, आजाद मार्केट, रिसाली, भिलाई अभिनन्दनीय व्यक्तित्व नेत्रों में सरलता एवं पैनी-दृष्टि सौम्य-मुखाकृति और गौरवशाली व्यक्तित्व प्रो. सुदर्शनलाल जी जैन का है। मैंने श्री सुदर्शन लाल जी के लिए श्रद्धा के जिस बीज को कभी मानस-पटल पर अनायास बोया था वह उनके प्रभावक, निश्च्छल और आत्मीयता भरे सरल व्यक्तित्व के कारण अंकुरित एवं प्रफुल्लित होता गया और उसका फल मधुर तो है ही, आनन्दप्रद भी है। श्री सुदर्शनलाल जी से ज्यादा पहले से मैं परिचित नहीं था। 4-5 वर्ष पूर्व जब आप भोपाल में नन्दीश्वर द्वीप जिनालय में दर्शन/पूजन हेतु अपनी धर्मपत्नी श्रीमति डॉ. मनोरमा जैन के साथ नित्य आते थे जिस कारण मुलाकात निकटता में परिवर्तित होती गयी। उनके जीवन से प्रभावित न हो ऐसा नहीं हो सकता। आप शोधरस पायी भ्रमर हैं। आपको नई शोध उपलब्धि से अपार सन्तोष मिलता है। आप अपने लक्ष्य में इतने तल्लीन हो जाते हैं कि खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती है। “स्वनगरे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते" की उक्ति मैंने सुनी थी जो अपने जीवन में अनेकों श्रेष्ठ विद्वानों के चरित्रों को पढ़ने से अनुभूति भी हुई। वर्तमान में दिगम्बर जैन समाज के सौभाग्य से राष्ट्रस्तर के साहित्यकार, विद्वान एवं भारत की सर्वश्रेष्ठ यूनीवर्सिटी हिन्दू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त डीन प्रोफेसर श्री डॉ. सुदर्शनलाल जी जैन के द्वारा पढ़ाए गऐ उच्च शिक्षा प्राप्त हजारों शिष्य देश विदेशों में गौरवपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। शिक्षा जगत् में प्रोफेसर सा. को राष्ट्रस्तर पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है। जो आपकी विलक्षण विद्वत्ता अपार-कर्मष्ठता और ख्याति प्राप्त शिक्षण-पद्धति की प्रामाणिकता का प्रतीक है। आपके सम्मान में प्रकाशित हो रहा अभिनन्दन ग्रन्थ आपकी विलक्षण प्रतिभा, उन्नत व्यक्तित्व असीम कर्मठता और अप्रतिम विद्वत्ता का एक ऐतिहासिक दस्तावेज होगा। भारतीय दिगम्बर जैन समाज युगों-युगों तक आपके सम्मान में प्रकाशित हो रहे अभिनन्दन ग्रन्थ से भावी पीढ़ियाँ प्रेरणा प्राप्त करती रहेंगी। आप यशस्वी सुखी-दीर्घ जीवन के साथ आपके गौरवमय जीवन में धर्माचरण में प्रवृत्ति साकार होती रहे। इसी मङ्गल कामना के साथ मैं हृदय से आपका अभिनन्दन करता हूँ। डॉ. सर्वज्ञदेव जैन चिकित्सक तथा सम्पादक, वीतराग वाणी, 252 जैन नगर लाल घाटी, भोपाल 99