________________ सिद्ध-सारस्वत पूत के पांव पालने में दिखते हैं, इस कहावत को चरितार्थ करने वाले सुदर्शन जी ने अपने पैत्रिक संस्कारों के बल पर पुरुषार्थ और भाग्य के सहारे शिक्षा और धर्म की प्रथम सीढ़ी से अंतिम सीढ़ी तक सफर करते हुये अपनी सहजता, सरलता, सौम्यता, ईमानदारी के साथ-साथ जैसा नाम वैसा मन, किसी के प्रति ईर्ष्या न रखना सबको एक समान वात्सल्य और आदर देना सीखा है। देवशास्त्र गुरु के परम आराधक, प्राकृत-संस्कृत भाषा के उद्भट विद्वान् होकर 40 वर्षों तक निरन्तर जिनवाणी की सेवा करते हुये अर्धशतक छात्रों को पी-एच.डी. की उपाधि के योग्य बनाकर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया। सिद्ध सारस्वत अवदान विशिष्ट व्यक्ति के प्रति हार्दिक शुभकामनाएं-मङ्गल कामनायें। इन शब्दों के साथ प्रस्तुत है - यही प्रार्थना वीर से शांति रहे चहुँ ओर। हिलमिल कर आगे बढ़े-बढ़े धर्म की ओर।। पं. सुरेश जैन मारौरा अध्यक्ष प्रभावना जन कल्याण परिषद यशस्वी व्यक्तित्व भारतीय दिगम्बर जैन समाज के गौरवपुञ्ज यशस्वी विद्वान श्रीमान प्रो. डॉ. सुदर्शनलाल जी जैन वाराणसी हाल भोपाल में मैं गत अनेक वर्षों से परिचित हूँ। वह जैन दर्शन के उच्चकोटि के विद्वान् होने के साथ ही हिन्दू विश्वविद्यालय में सर्वोच्च पद से सेवानिवृत्त होकर भोपाल में स्वात्म कल्याण के पथ पर अग्रसर हैं। देश में हजारों उच्चकोटि की शिक्षा प्राप्त शिष्य आज भी आपकी विद्वत्ता शिक्षण शैली की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। डॉ. जैन ने विद्वत्ता पूर्ण अनेक कृतियों का आलेखन-सम्पादन किया है जो साहित्य जगत में सदैव गौरवान्वित रहेंगी। सरल स्वभावी-विनम्र एवं विद्वत् जनों के जो भी गुण हैं वे सब आपमें चरितार्थ हैं। ऐसे भारतीय जैन समाज के गौरवशाली विद्वान् का मैं हृदय से अभिनन्दन करता हुआ भगवान जिनेन्द्रप्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वह शतायु होकर समाज, संस्कृति और साहित्य की सदैव समुन्नति करते रहें। पं. वर्द्धमान कुमार जैन सोरया प्राचार्य, एम.एस.सी., एम.एड., टीकमगढ़ (म. प्र.) गौरव गरिमा के प्रतीक मुझे यह जानकर परम प्रसन्नता हुई कि देश के यशस्वी साहित्यकार विद्वान् प्रो. डॉ. सुदर्शनलाल जी जैन हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से सेवानिवृत्त होकर भोपाल राजधानी में निवास करने लगे है। अ. भा. दि. जैन प्रबुद्ध समाज ने राष्ट्रीय स्तर पर आपका अभिनन्दन करने के सङ्कल्प को साकारता प्रदान करने हेतु एक भव्य गौरवमयी अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर आपको हीरक जयंती के पावन प्रसंग पर समर्पित करने जा रहा है। यद्यपि आपका राष्ट्र स्तर पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा गौरवपूर्ण सम्मान किया जा चुका है, परन्तु दि. जैन समाज आपके उन्नत व्यक्तित्व और अपार कृतित्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए अभिनन्दन ग्रन्थ से सम्मानित करने जा रहा है। यह हम सबका परम सौभाग्य का विषय है। आज भारत में आपके पढ़ाए अनेकों साहित्यकार विद्वान, लेखक, एवं उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति आपके इस गौरव सम्मान से प्रमुदित हैं। मैं भगवान महावीर स्वामी से प्रार्थना करता हूँ कि आप दीर्घ आयु प्राप्त कर यशस्वी सुखी धर्ममय जीवन के साथ समाज-संस्कृति, धर्म और साहित्य की सेवा में निरन्तर लगे रहें। यह भी एक सुखद संयोग है कि आपकी धर्मपत्नी भी उच्च शिक्षा के साथ डॉक्टरेट हैं और आपके साहित्य सम्बर्धन में सदैव सहयोगी रहती हैं। डॉ. अरिहंत शरण जैन एम.बी.बी.एस., एम.डी. मेडीसिन, बिलासपुर 101