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तृतीय वर्ग के सूत्र अधिक महत्त्व के है। इनमे से विशेष महत्त्वपूर्ण सभी सूत्र भाष्य में उपलब्ध है। समग्ररूप से देखा जाए तो इन सत्रो का अधिक महत्त्व है क्योंकि पश्चिमी परपरा की हस्तलिखित प्रतियो में इस अध्याय में इन दिगम्बर सूत्रों का अधिक से अधिक समावेश हुआ है। जम्बूद्वीपसमास नामक एक अन्य प्रकरण मे, जिसके रचयिता उमास्वाति ही माने जाते है, छ: क्षेत्रों और छ: पर्वतों का भौगोलिक वर्णन इसी क्रम से है । इसमे मध्य के कुरु और विदेह के चार क्षेत्रों का छोड़ दिया गया है जिनका वर्णन द्वितीय आह्निक में किया गया है। इसमें हिमवान् पर्वत के वर्णन में उसके रंग की चर्चा है [ तुलना करें--- सूत्र ३ : (१२)] । तत्पश्चात् उस पर अवस्थित ह्रद का नाम [ तुलना करे-सूत्र ( १४)], उसका विस्तार [ तुलना करें--सूत्र ( १५-१६ )], उसके बीच में एक योजन का पुष्कर [ तुलना करे-सूत्र (१७)], उसमें निवास करनेवाली देवी का नाम [ तुलना करे-सूत्र ( १९)], उससे प्रवहमान युग्म सरिताओं के नाम [ तुलना कर-सूत्र (२०)] और उनकी दिशाओं का वर्णन है [तुलना करे-सत्र (२१-२२)]। प्रत्येक वर्षधर पर्वत के वर्णन में उसके रंग एवं ह्रदों, देवियों और नदियों के नामों तथा नदियो की दिशाओं का निर्देश है। तत्त्वार्थसत्र में शिखरी पर्वत को हेम रंग का कहा गया है, जब कि जम्बूद्वीपसमास में उसे तपनीय रंगवाला माना गया है। सूत्र ३ : (१६) चतुर्थ आह्निक में भी है-वापी कुण्ड-ह्रदा दशावगाहाः। इसी प्रकार सूत्र ३ : (२६)
और (३२) भी इस आह्निक मे हैं-मेरूत्तरासु विपर्ययः तथा रूपादिद्विगुण-राशिगुणो द्वीप-व्यासो नवति-शत-विभक्तो भरतादिषु विष्कम्भः ।
उपर्युक्त विदलेषण से यह प्रतीत होता है कि दिगम्बर सूत्रों ३ : (१२-३२) की रचना भाष्य और जम्बूद्वीपसमास के आधार पर की गई है। ताकिक दृष्टि से दूसरे रूप में यह भी कहा जा सकता है कि भाष्य तथा जम्बूद्वीपसमास की रचना दिगम्बर पाठ के आधार पर की गई है । श्वेताम्बर पाठ के १-३ वर्गो के सूत्रों के विलोपन के आधार पर अब तक जो विश्लेषण किया गया उससे यह प्रमाणित होता है कि श्वेताम्बर पाठ मूल रूप में है, क्योंकि सूत्र-शैली में यथाक्रमम शब्द का प्रयोग उपलब्ध होता है। किन्तु इसके आधार पर संपूर्ण पक्ष की सिद्धि नहीं हो सकती। सामान्य तौर से देखा जाए तो शब्दों एवं सूत्रों के विलोपन या वृद्धिकरण से किसी एक पाठ की प्रामाणिकता निश्चित रूप से सिद्ध नहीं हो सकती जिससे यह कहा जा सके कि दूसरा पाठ उस
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