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तत्त्वार्थ सूत्र
[ ३. १-६
को मोटाई अर्थात् ऊपर से लेकर नीचे के तल तक का भाग कम-क्रम है । प्रथम भूमि की मोटाई एक लाख अस्सी हजार योजन, दूसरी की एक लाख बत्तीस हजार, तीसरी की एक लाख अट्ठाईस हजार, चौथी की एक लाख बीस हजार, पाँचवी की एक लाख अठारह हजार, छठी की एक लाख सोलह हजार तथा सातवी की एक लाख आठ हजार योजन है । सातो भूमियो के नीचे जो सात घनोदधि-वलय है उन सबकी मोटाई समान अर्थात् बीस-बीस हजार योजन है और जो सात घनवात तथा सात तनुवात-वलय है उनकी मोटाई सामान्य रूप से असंख्यात योजन की होने पर भी तुल्य नही है, अर्थात् प्रथम भूमि के नीचे के घनवात-वलय तथा तनुवात वलय की असंख्यात योजन की मोटाई से दूसरी भूमि के नीचे के घनवात वलय तथा तनुवात - वलय की असंख्यात योजन की मोटाई विशेष है । इसी क्रम से उत्तरोत्तर छठी भूमि के घनवात-तनुवातवलय से सातवी भूमि के घनवात-तनुवातवलय की मोटाई विशेष - विशेष है । यही बात आकाश के विषय में भी है ।
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पहली भूमि रत्नप्रधान होने से रत्नप्रभा कहलाती है । इसी तरह दूसरी शर्करा ( कंकड ) के सदृश होने से शर्कराप्रभा है । तीसरी वालुका ( रेती ) की मुख्यता होने से वालुकाप्रभा है । चौथी पङ्क ( कीचड ) की अधिकता होने से पङ्कप्रभा है । पाँचवी धूम ( धूऍ ) की अधिकता होने से धूमप्रभा है । छठी तमः ( अंधकार ) की विशेषता से तम प्रभा और सातवी महातम: ( घनअन्धकार ) की प्रचुरता से महातम प्रभा है । इन सातो के नाम क्रमश. घर्मा, वंशा, शैला, अञ्जना, रिष्टा, माघव्या और माववी है ।
नीचे का तीसरा
तीनों काण्डों की
रत्नप्रभा भूमि के तीन काण्ड ( हिस्से ) है । सबसे ऊपर का प्रथम खरकाण्ड रत्नप्रचुर है, जो मोटाई मे १६ हजार योजन है । उसके नीचे का दूसरा काण्ड पबहुल है, जिसकी मोटाई ८४ हजार योजन है । उसके काण्ड जलबहुल है, जिसकी मोटाई ८० हजार योजन है । मोटाई कुल मिलाकर १ लाख ८० हजार योजन होती है । दूसरी से लेकर सातवी भूमि तक ऐसे काण्ड नही है, क्योकि उनमे शर्करा, वालुका आदि पदार्थ सर्वत्र एक-से है । रत्नप्रभा का प्रथम काण्ड दूसरे पर और दूसरा तोसरे पर स्थित है । तीसरा काण्ड घनोदधिवलय पर, घनोदधि घनवातवलय पर, घनवात तनुवातवलय पर और तनुवात आकाश पर प्रतिष्ठित है । परन्तु आकाश किसी पर स्थित न होकर आत्म-प्रतिष्ठित है, क्योकि आकाश को स्वभावत दूसरे आधार की अपेक्षा नही होती । दूसरी भूमि का आधार उसका घनोदधिवलय है, वह अपने नीचे के घनवातवलय पर आश्रित है, घनवात अपने नीचे के तनुवात पर आश्रित है,
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