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तत्त्वार्थ सूत्र
[ ५. २३-२४
है । परन्तु वही आँवला बेर की अपेक्षा स्थूल है और वही बिल्व कूष्माण्ड की अपेक्षा सूक्ष्म है । इस तरह जैसे आपेक्षिक होने से एक ही वस्तु विरुद्ध पर्याय होते हैं, वैसे अन्त्य सूक्ष्मत्व और स्थूलत्व एक वस्तु मे नही होते ।
सूक्ष्मत्व-स्थूलत्व दोनों
संस्थान इत्थंत्व और अनित्थंत्व दो प्रकार का है । जिस आकार की किसी के साथ तुलना की जा सके वह इत्थंत्वरूप है और जिसकी तुलना न की जा सके वह अनित्थं स्वरूप है । मेघ आदि का संस्थान ( रचना - विशेष ) अनित्थंत्वरूप है, क्योंकि अनियत होने से किसी एक प्रकार से उसका निरूपण नही किया जा सकता और अन्य पदार्थो का संस्थान इत्थंत्वरूप है, जैसे गेंद, सिंघाडा आदि । गोल, त्रिकोण, चतुष्कोण, दीर्घ, परिमण्डल ( वलयाकार ) आदि रूप मे इत्थंत्वरूप संस्थान के अनेक भेद है ।
एकत्व अर्थात् स्कन्धरूप में परिणत पुद्गलपिण्ड का विश्लेष ( विभाग ) होना भेद है । इसके पाँच प्रकार है- १. औत्करिक - चीरे या खोदे जाने पर होने वाला लकड़ी, पत्थर आदि का भेदन; २. चौणिक - कण-कण रूप से चूर्ण हो जाना, जैसे जौ आदि का सत्तू, आटा आदि; ३ खण्ड-टुकड़े-टुकड़े होकर टूट जाना, जैसे घड़े का कपालादि; ४. प्रतर - परतें या तो निकलना, जैसे अभ्रक, भोजपत्र आदि; ५. अनुतट - छाल निकलना, जैसे बाँस, ईख आदि ।
तम अर्थात् अन्धकार, जो देखने मे रुकावट डालनेवाला, प्रकाश का विरोधी एक परिणाम विशेष है ।
छाया प्रकाश के ऊपर आवरण आ जाने से होती है । इसके दो प्रकार हैदर्पण आदि स्वच्छ पदार्थो मे पड़नेवाला बिम्ब जिसमे मुखादि का वर्ण, आकार आदि ज्यों-का-त्यों दिखाई देता है और अन्य अस्वच्छ वस्तुओं पर पड़नेवाली परछाई प्रतिबिम्बरूप छाया है ।
सूर्य आदि का उष्ण प्रकाश आतप और चन्द्र, मणि, खद्योत आदि का अनुष्ण ( शीतल ) प्रकाश उद्योत है ।
स्पर्श आदि तथा शब्द आदि उपर्युक्त सभी पर्याय पुद्गल के कार्य होने से पौद्गलिक माने जाते है ।
सूत्र २३ और २४ को अलग करके यह बतलाया गया है कि स्पर्श आदि पर्याय परमाणु और स्कन्ध दोनों में होते है, परन्तु शब्द, बन्ध आदि पर्याय केवल स्कन्ध में होते है । सूक्ष्मत्व यद्यपि परमाणु व स्कन्ध दोनों का पर्याय है, तथापि उसका परिगणन स्पर्श आदि के साथ न करके शब्द आदि के साथ किया गया है वह इसलिए कि प्रतिपक्षी स्थूलत्व पर्याय के साथ उसके कथन का औचित्य है । २३-२४ ।
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