Book Title: Tattvarthasutra Hindi
Author(s): Umaswati, Umaswami, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 416
________________ २५० तत्त्वार्थसूत्र एषणा २०७ एषणासमिति १६८,१६९, २०८ ऐगवतक्षेत्र ९१ ऐरावतवर्ष ८८,९० ऐशान ९७-१००, १०४, १११ ऐश्वर्य २०९ ऐहिक आपत्ति १७० ऐहिक दोषदर्शन १७० औ औत्करिक १३० औदयिक ४६-४८, ५०, २३६ औदारिक ६९ ७१, १२२,१२३, १२५,१५५, २०५ औदारिक अङ्गोपाङ्ग २०५ औदारिक पुद्गल ६७ औदारिक शरीर ७१, २९५ औपातिक ७०, १०९ औपशमिक ११, ४६.४९, २३६ औपशमिक सम्यक्त्व ११ कतो १३७ कर्तृत्व ५० कर्म ४८, ६५, ७५, १३७, १५६ १६५, १९२, १९६ कर्म-आर्य १३ कर्म-पुद्गल ५, ६६, १९५ कर्मप्रकृति १६४, १९२, २०५ कर्मबन्ध १५१, १५४, १९२ कर्मभूमि ८०, ८८,८९, ९३ कर्मयोग ६२ कर्मवर्गणा ६६,६७, २०४ कर्मस्कन्ध २०३ कर्मेन्द्रिय ५७ कल्प २६, १०४, १०७ कल्पातीत ९६, ९९,१००, १०३, १०४, १०७ कल्पोपपन्न ९६, ९९,१००, १०३ कवलाहार २१६ कषाय ४६,४७, ४९, १५१, १५४, १५६-१५८, १६५, १९२-१९४, १९७, १९८, २०५ कषायकुशील २३२ कषायचारित्रमोहनीय १९७ कषायमोहनीय ४९, १६१ कषाय रहित १५० कषायवेदनीय १९७ कषायसहित १५० कमैला १२९ काक्षा १८३ काक्षातिचार १८४ काण्ड ८४, ९० कादम्ब १०१ कापिष्ट ९९ कठिन १२९ कड़वा १२९. कदम्बक १०१ कनकावली २१० कन्दर्प १८६, १८९ कमलपूजा १८३ कम्बोज ९३ करुणा १७१ करुणावृत्ति १७० कर्ण २३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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