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५. २५-२७ ] पुद्गल के मुख्य प्रकार व उनकी उत्पत्ति के कारण १३१
पुद्गल के मुख्य प्रकार
अणवः स्कन्धाश्च । २५ ।
पुद्गल परमाणु और स्कन्धरूप हैं ।
पुद्गल द्रव्य इकाईरूप मे अनन्त है और उनका वैविध्य भी अपरिमित है, तथापि आगे के दो सूत्रों में पौद्गलिक परिणाम की उत्पत्ति के भिन्न-भिन्न कारण दर्शाने के लिए यहाँ तदुपयोगी परमाणु और स्कन्ध ये दो प्रकार संक्षेप मे निर्दिष्ट है । सम्पूर्ण पुद्गलराशि का इन दो प्रकारों मे समावेश हो जाता है ।
जो पुद्गल द्रव्य कारणरूप है पर कार्यरूप नही है, द्रव्य परमाणु है, जो नित्य, सूक्ष्म और किसी एक रस, दो स्पर्श से युक्त होता है । ऐसे परमाणु द्रव्य का ज्ञान इन्द्रियो से नही होता । उसका ज्ञान आगम या अनुमान से साध्य है । परमाणु का अनुमान कार्यहेतु से माना गया है। जो-जो पौद्गलिक कार्य दृष्टिगोचर होते है, वे सब सकारण हैं । इसी प्रकार जो अदृश्य अन्तिम कार्य होगा, उसका भी कारण होना चाहिए, वही कारण परमाणु द्रव्य है । उसका कारण अन्य द्रव्य न होने से उसे अन्तिम कारण कहा गया है । परमाणु द्रव्य का कोई विभाग नहीं होता और न हो सकता है। इसलिए उसका आदि, मध्य और अन्त वह स्वयं ही होता है । परमाणु द्रव्य अबद्ध ( असमुदायरूप ) होता है ।
वह अन्त्य द्रव्य है । ऐसा एक गन्ध, एक वर्ण और
स्कन्ध दूसरे प्रकार का पुद्गल द्रव्य है । सभी स्कन्ध बद्ध — समुदायरूप होते है और वे अपने कारणद्रव्य की अपेक्षा से कार्यद्रव्यरूप तथा कार्यद्रव्य की अपेक्षा से कारणद्रव्यरूप है, जैसे द्विप्रदेश आदि स्कन्ध परमाणु आदि के कार्य हैं और त्रिप्रदेश आदि के कारण है । २५ ।
स्कन्ध और अणु की उत्पत्ति के कारण सङ्घातभेदेभ्य उत्पद्यन्ते । २६ । भेदादणुः । २७ ।
संघात से, भेद से और संघात-भेद दोनों से स्कन्ध उत्पन्न होते है । अणु भेद से ही उत्पन्न होता है ।
स्कन्ध ( अवयवी ) द्रव्य की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है । कोई स्कन्ध संघात ( एकत्वपरिणति ) से उत्पन्न होता है, कोई भेद से और कोई एक साथ भेद-संघात दोनों निमित्तों से । जब अलग-अलग स्थित दो परमाणुओं के मिलने पर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है तब वह संघातजन्य कहलाता है । इसी प्रकार तीन,
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