Book Title: Tattvarthasutra Hindi
Author(s): Umaswati, Umaswami, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 308
________________ १४२ तत्त्वार्थसूत्र [५. ३७ प्रश्न-बन्ध के विधि और निषेध का वर्णन तो हुआ, किन्तु जिन सदृश परमाणुओं का या विसदृश परमाणुओं का बन्ध होता है उनमे कौन किसको परिणत करता है ? उत्तर-समाश स्थल मे सदृश बन्ध तो होता ही नही, विसदृश होता है, जैसे दो अंश स्निग्ध का दो अंश रूक्ष के साथ या तीन अश स्निग्ध का तीन अंश रूक्ष के साथ । ऐसे स्थल मे कोई एक सम दूसरे सम को अपने रूप में परिणत कर लेता है अर्थात् द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव के अनुसार कभी स्निग्धत्व रूक्षत्व को स्निग्धत्व मे बदल देता है और कभी रूक्षत्व स्निग्धत्व को रूक्षत्व मे बदल देता है। परंतु अधिकांश स्थल में अधिकांश ही हीनाश को अपने स्वरूप मे बदल सकता है, जैसे पंचाश स्निग्धत्व तीन अंश स्निग्धत्व को अपने रूप में परिणत करता है अर्थात् तीन अंश स्निग्धत्व भी पाँच अंश स्निग्धत्व के सम्बन्ध से पाँच अंश परिमाण हो जाता है। इसी प्रकार पाँच अंश स्निग्धत्व तीन अंश रूक्षत्व को भी स्व-स्वरूप मे मिला लेता है अर्थात् रूक्षत्व स्निग्धत्व मे बदल जाता है। रूक्षत्व अधिक हो तो वह अपने से कम स्निग्धत्व को अपने रूप का बना लेता है । ३६ । द्रव्य का लक्षण गुणपर्यायवद् द्रव्यम् । ३७। द्रव्य गुण-पर्यायवाला है । द्रव्य का उल्लेख पहले अनेक बार आया है, इसलिए उसका लक्षण यहाँ बतलाया गया है। जिसमे गुण और पर्याय हों वह द्रव्य है। प्रत्येक द्रव्य अपने परिणामी स्वभाव के कारण समय-समय मे निमित्तानुसार भिन्न-भिन्न रूप में परिणत होता रहता है अर्थात् विविध परिणामों को प्राप्त करता रहता है । द्रव्य में परिणामजनन को शक्ति ही उसका गुण है और गुणजन्य परिणाम पर्याय है । गुण कारण है और पर्याय कार्य । एक द्रव्य मे शक्ति-रूप अनन्त गुण होते है जो वस्तुतः आश्रयभूत द्रव्य से या परस्पर में अविभाज्य है। प्रत्येक गुण-शक्ति के भिन्न-भिन्न समयों में होनेवाले त्रैकालिक पर्याय अनन्त है । द्रव्य और उसकी अंशभूत शक्तियाँ उत्पन्न तथा विनष्ट न होने से नित्य अर्थात् अनादि-अनन्त है, परन्तु सभी पर्याय प्रतिक्षण उत्पन्न तथा नष्ट होते रहने से व्यक्तिश. अनित्य अर्थात् सादि-सान्त है और प्रवाह की अपेक्षा से अनादि-अनन्त है । कारणभूत एक शक्ति के द्वारा द्रव्य में होनेवाला त्रैकालिक पर्याय-प्रवाह भी सजातीय है। द्रव्य में अनन्त शक्तियों से तज्जन्य अनन्त पर्याय-प्रवाह भी एक साथ चलते रहते है । भिन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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