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२. २१-२२ ]
इन्द्रियों के ज्ञेम अर्थात् विषय
में एक साथ रहते है, क्योंकि वे सभी एक ही द्रव्य के उनका विभाग केवल बुद्धि द्वारा इन्द्रियो से होता है । अलग है । वे कितनी ही पटु हों, अपने ग्राह्यविषय के को जानने में समर्थ नही है । इसीलिए पाँचों इन्द्रियों के ( पृथक्-पृथक् ) है ।
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प्रश्न – स्पर्श आदि पाँचो सहचरित है, तब ऐसा क्यों है कि किसी-किसी वस्तु मे उन पाँचों की उपलब्धि न होकर केवल एक या दो की ही होती है, जैसे सूर्य आदि की प्रभा का रूप तो मालूम होता है, पर स्पर्श, रस, गन्ध आदि नही । इसी तरह पुष्पादि से अमिश्रित वायु का स्पर्श ज्ञात होने पर भी रस, गन्ध आदि ज्ञात नहीं होते ।
अविभाज्य पर्याय है । इन्द्रियों की शक्ति अलगअतिरिक्त अन्य विषय पाँच विषय असंकीर्ण
उत्तर—प्रत्येक भौतिक द्रव्य मे स्पर्श आदि उक्त सभी पर्याय होते है, पर उत्कट पर्याय ही इन्द्रियग्राह्य होता है । किसी मे स्पर्श आदि पाँचों पर्याय उत्कट - तया अभिव्यक्त होते है और किसी में एक-दो आदि । शेष पर्याय अनुत्कट
अवस्था मे होने के कारण इन्द्रियो से नही जाने जाते, पर होते अवश्य है । इन्द्र की पटुता ( ग्रहणशक्ति ) भी सब जाति के प्राणियों की समान नहीं होती । एकजातीय प्राणियों मे भी इन्द्रिय की पटुता विविध प्रकार की देखने मे आती है । इसलिए स्पर्श आदि को उत्कटता या अनुत्कटता का विचार इन्द्रिय की पटुता के तरतमभाव पर भी निर्भर करता है । २१ ।
इन पाँचों इन्द्रियों के अतिरिक्त मन भी एक इन्द्रिय है । मन ज्ञान का साधन तो है, पर स्पर्शन आदि इन्द्रियों की तरह बाह्य साधन नही है । वह आन्तरिक साधन है, अतः उसे अन्तःकरण भी कहते है । मन का विषय परिमित नही है । बाह्य इन्द्रियाँ केवल मूर्त पदार्थ को और वह भी अंश रूप मे ग्रहण करती है, जब कि मन मूर्त-अमूर्त सभी पदार्थो को अनेक रूपो मे ग्रहण करता है । मन का कार्य विचार करना है, जिसमे इन्द्रियो के द्वारा ग्रहण किये
गए और न ग्रहण
।
किये गए, विकास की योग्यता के अनुसार सभी विषय आते है है । इसीलिए कहा गया है कि अनिन्द्रिय का विषय श्रुत है सभी तत्त्वों का स्वरूप मन का प्रवृत्ति क्षेत्र है ।
यह विचार ही श्रुत अर्थात् मूर्त-अमूर्त
प्रश्न- -श्रुत यदि मन का कार्य है और वह एक प्रकार का स्पष्ट तथा विशेषग्राही ज्ञान है, तो फिर मन से मतिज्ञान क्यो नही होता ?
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उत्तर- - होता है, किन्तु मन के द्वारा पहले पहल सामान्य रूप से वस्तु का जो ग्रहण होता है तथा जिसमे शब्दार्थ - सम्बन्ध, पौर्वापर्य श्रृंखला और विकल्प
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