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उदाहरण हो सकते हैं, तथापि मतभेद के इन उदाहरणों तथा श्वेताम्बर संस्करण में सूत्र ५ : ( २९ ) अर्थात् सद्-द्रव्य-लक्षणम् के विलोपन से यह प्रमाणित हो जाता है कि श्वेताम्बर पाठ मूल है और दिगम्बर पाठ उससे व्युत्पन्न हुआ है। इनके अतिरिक्त सूत्रकार को यथाक्रमम् शब्द द्वारा आगे के उपभेदात्मक सूत्र लिखने की शैली तथा 'स' सर्वनाम द्वारा हमेशा नए सूत्र प्रारम्भ करने की पद्धति जैसे कुछ छोटे प्रमाणों द्वारा भी इसी तथ्य की पुष्टि होती है। तब तत्त्वार्थसूत्र के तीसरे अध्याय के संशोधन का यह प्रश्न कि 'यह सामग्रो भाष्य और जम्बूद्वीपसमास से दिगम्बर संस्करण में ली गई अथवा दिगम्बर संस्करण से भाष्य और जम्बूद्वीपसमास में ली गई' स्वतः हल हो जाता है ।
-सुजुको ओहिरा
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