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अपाकरण
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अपक्त
अपाकरण-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 अस्वीकृति 3 चुकता अपील-अं० (स्त्री०) 1 साग्रह प्रार्थना 2 चंदे आदि के लिये करना
सार्वजनिक प्रार्थना 3 (फ़ैसला बदलवाने हेतु उच्च अदालत अपाकर्म-सं० (पु०) चुकाना, अदायगी
में) दरख्वास्त, याचिका। -कर्ता +सं० (पु०) याचक; अपाकृत-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 चुकता किया हुआ ~खारिज करना (पु०) प्रार्थना अस्वीकार करना; दायर अपाच्य-सं० (वि०) 1 जो पच न सके 2 जो पकाया न जा करना (पु०) प्रार्थना करना; ~मंजूर करना (पु०) प्रार्थना सके
स्वीकार करना अपाटव-I सं० (पु०) 1 अपटुता 2 भद्दापन 3 रोग II (वि०) अपील अदालत-अं० + अ० .(स्त्री०) अपील सुनने की 1 अकुशल 2 रोगी
अदालत अपात्र-सं० (वि०) अनधिकारी
अपीलेंट-अं० (पु०) अपील कर्ता अपाद-सं० (वि०) बिना पैरों का, पंगु
अपीली-अं० (वि०) अपील संबंधी अपादान-सं० (पु०) 1 हटाना 2 बिलगाव 3 (व्याकरण में) अपुच्छ-सं० (वि०) बिना पूँछ का, पुच्छविहीन. पांचवा कारक। कारक (पु०) व्या० अलगपन दिखाने का | अपुण्य-[ सं० (वि०) 1 अधार्मिक 2 अपवित्र II (पु०) अर्थ देनेवाला कारक
पुण्य का अभाव अपान-I सं० (पु०) 1 आत्मज्ञान 2 आत्मगौरव 3 गुदा मार्ग से अपुत्र-सं० (वि०) 1 जिसे पुत्र न हो 2 कुपुत्र
निकलने वाली वायु II (सर्व०) अपना III (वि०) अपुत्रक-सं० (वि०) अपुत्र . दुःखहर्ता। द्वार (पु०) गुदा; ~वायु (स्त्री०) गुदा मार्ग | अपुनरादेय-सं० (वि०) जिसे फिर न लौटाया जाए से बाहर आनेवाली वायु
अपुनरावर्तन-सं० (पु०) 1 फिर न लौटना 2 फिर न करना अपाप-I सं० (वि०) पाप रहित, निर्दोष II (पु०) पुण्य __ 3 मोक्ष अपामार्जन-सं० (पु०) 1 सफ़ाई 2 दूर करना, निवारण अपुनरावृत्ति-सं० (स्त्री) अपुनरावर्तन अपाय-1 सं० (वि०) निरुपाय II (पु०) 1 अलगाव 2 नाश अपुनर्भव-सं० (पु०) 1 पुनः जन्म न लेना 2 मोक्ष 3 अंत 4 बुराई 5 विपत्ति
अपुरण-सं० (वि०) जो पुराना न हो, नया अपायी-सं० (वि०) 1 जानेवाला 2 नाशवान 3 अहितकर अपुरातन-सं० (वि०) नवीन अपार-I सं० (वि०) 1जिसका पार न हो 2 असीम अपुरुष-I सं० (वि०) 1 अमानुषिक 2 जो पुरुष न हो 3 अत्यधिक 4 जिसे पार करना कठिन हो II (पु०) ___ II (पु०) हिजड़ा 1 मानसिक संतोष 2 असहमति 3 नदी का दूसरा तट 4 समुद्र। अपुष्ट-सं० (वि०) 1 जिसका पोषण ठीक तरह से न हआ हो
दर्शिता (स्त्री०) (किसी वस्तु में से) आरपार न दिखाई 2 दुर्बल 3 मंद 4 जिसकी पुष्टि न हुई हो देना; ~दर्शी (वि०) 1 जो पारदर्शी न हो 2 जिससे आरपार अपुष्टिकर-सं० (वि०) पोषण न करनेवाला न दिखाई दे
अपूजक-सं० (वि०) 1 अधार्मिक 2 अभक्त अपार्थ-सं० (वि०) 1अर्थहीन 2 निरुद्देश्य 3 व्यर्थ अपूजा-सं० (स्त्री०) अनादर अपार्थक-सं० (वि०) निकम्मा, निरर्थक
अपूजित-सं० (वि०) जिसकी पूजा न की गई हो अपार्थिव-सं० (वि०) जो पृथ्वी संबंधी न हो
अपूज्य-सं० (वि०) पूजा या सम्मान के अयोग्य अपालन-सं० (पु०) न पालना
अपूठा-हिं० (वि०) 1 जो प्रौढ़ न हो 2 अधकचरा 3 अनभिज्ञ अपावन-सं० (वि०) 1 अशुद्ध 2 मलिन
4 अविकसित अपावरण-सं० (पु०) आवरण हटाना
अपूत-I सं० (वि०) अपवित्र 2 मलिन II (पु०) कपूत अपावर्तन-सं० (पु०) 1पीछे लौटना, वापसी 2 अस्वीकृति अपूप-सं० (पु०) 1 मालपुआ 2 गेहूँ 3 शहद का छत्ता अपावृत-सं० (वि०) 1पीछे हटाया हुआ 2 अनियंत्रित | अपूरणीय-सं० (पु०) पूरा न किया जाने योग्य .. 3 खुला
अपूर्ण-सं० (वि०) 1 जो पूरा न हो. अधूरा 2 न्यून 3 खाली। अपाश्रय-सं० (वि०) 1आश्रयहीन 2 निराधार
~सूची (स्त्री०) अधूरी सूची; -क्रिया द्योतक (वि०) अपासन-I सं० (पु०) 1 फेंकना 2 अलग करना 3 वध करना __ अधूरे कार्य; ~भूत (पु०) क्रिया का वह काल जिसमें II (वि०) अपास्त
भूतकाल तो पाया जाय पर क्रिया की समाप्ति न हई हो अपासरण-सं० (पु०) 1 गमन 2 पलायन
अपूर्णता-सं० (स्त्री०) 1 अधूरापन 2 कमी अपाहिज-सं० (पु०) 1 अपंग, पंगु 2 आलसी 3 अकर्मण्य अपूर्णाक-सं० (पु०) बिना पूर्ण अंक का अपिच-(अ०) और भी, पुनश्च
अपूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूरा न होना, कमी 2 अतृप्ति अपितु-सं० बल्कि, किंतु
अपूर्व-[ सं० (वि०) 1 जैसा पहले न हुआ हो, अनूठा अपित्रक-सं० (वि०) 1पितृहीन 2 अपैतृक
2 अद्भुत 3 अज्ञात II (पु०) 1 परब्रह्म 2 पाप-पुण्य । अपित्रय-सं० (वि०) अपैतृक |--संपत्तिख
विधि (स्त्री०) नया अधिकारिक आदेश; ~कल्पित अपिधान-सं० (पु.) 1 ढकना 2 आच्छादन, अनावरण | (वि०) जो पूर्व कल्पित न हो; दृष्ट (वि०) जो पूर्व न देखा 3 छिपाव
गया हो अपिन-सं० (वि०) 1 ढका हआ 2 बँधा हआ अपूर्वागत-सं० (वि०) जो पहले न आया हो अपिहित-सं० (वि०) 1 ढका 2 आवृत्त
अपृक्त-सं० (वि०) 1 असंयुक्त 2 असंबद्ध, बेमेल, बेजोड़
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