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दफा १३]
हिन्दूलों का विस्तार
गोंड़ और राजगोंड--न गोंड़ और न राजगोंड़ ही हिन्दू हैं और इसी घजह से हिन्दूला उनपर लागू नहीं होता । जब उनमें से कोई मर जाता है तो उसकी विधवा उसके पूरे अधिकारकी वारिस होती है और उसके द्वारा किये हुए इन्तकालपर यदि वह पूर्वजों की जायदाद से सम्बन्ध न रखता हो, कोई भावी वारिस एतराज नहीं कर सकता । देखो--जनकू बाई बनाम पारवती 87 1. C. 1036; A. I. R. 1925 Nag. 353.
नोट--मानभूमिके जिले के कुर्मी महतों जातिगत आदि निवासी हैं उनमें वरासत के मामलेमें हिन्दूलों के प्रभुत्व की पावन्दी नहीं हैं देखो-कृत्तिभाष महतों बनाम बुधन महतानी 6 Pat. L. J. 604: 89 I. C. 796: 1926 A. I. R. 733 Pat. दफा १३ हिन्दूलॉ किन लोगोंसे नहीं लागू होगा ?
(१) जब कोई हिन्दू मुसलमान होगया हो--साधारणतः मुसलमान लॉ ही उन लोगोंसे लागू होता है जो हिन्दूसे मुसलमान होते हैं । परन्तु जो लोग मुसलमान हो जानेपरभी हिन्दू रवाज मानते हैं उनसे केवल उत्तराधिकार
और दायभागके मामलों में हिन्दूला लागू होगा, बाकीमें नहीं । यदि कोई कहे कि उन लोगोंमें हिन्दूलॉ के रवाज के विरुद्ध कोई रवाज जारी है तो उसका बारसुबूत उस पक्षपर होगा जो इसे बयान करता हो 20 B. 53; 10 B. 1 जो हिन्दू मुसलमान हो गये और कई पुश्तों तक वही धर्म मानते रहे तो उनकी जायदादके उत्तराधिकारका फैसला मुसलमान लॉ के अनुसार होगा। देखो--.1 Agra. F. B. 39; 2 Agra 61; 2 Agra 82.
(२) जो हिन्दू मुसलमान हो गया हो उस की जायदाद किसको मिलेगी?--मुसलमान हो जाने के समय तक जितनी जायदाद किसी हिन्दूकी हो उसके हक़दार वही लोग होते हैं जिन्हें हिन्दूलों के अनुसार होना चाहिये। बापके मुसलमान होते ही बेटा सारी मुश्तरका जायदादका एक मात्र मालिक हो जाता है 29 A. 481 परन्तु मुसलमान होनेके बाद जो जायदाद वह प्राप्त करे उसका उत्तराधिकार मुसलमान लॉ के अनुसार होगा 10 M. I. A. 537.
(३) ईसाई हो जाने वाले हिन्द--(क) इण्डियन सक्सेशन ऐक्ट नं० १० सन १८६५ ई० के पास होनेसे पहिले ईसाई हो जाने वाले हिन्दुओंको अधिकार था कि उत्तराधिकारके विषयमें हिन्दूला माने या न माने देखो-- 1 W. R. ( P. C. ) 1; 9 M. I. A. 195 परन्तु इस एक्टका असर उसके पास होनेसे पहिलेके समय पर नहीं पड़ता अर्थात् उसके पास होनेके पहिले जो अधिकार किसीको प्राप्तहों उनपर इस एक्टका असर नहीं पड़ता 2M 209. (ख ) अब्रहाम बनाम अब्रहामके मामलेमें माने हुए सिद्धांत--प्रिवी.
कौंसिलने इस मामलेमें (9 M I. A. 195 ) यह माना कि किसी आदमीके ईसाईहो जानेपर उसके अधिकारों और सम्बन्धों