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कसायपाहुडसुत गदो । तत्थ पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमच्छिदूण कम्मं हदसमुप्पत्तियं कादूण काल गदो तसेसु आगदो कसाए खवेदि, अपच्छिमे डिदिखंडए अवगदे अधट्ठिदिगलणाए उदयावलियाए गलतीए एकिस्से द्विदीए सेसाए तम्मि जहणणयं पदं । ४०. तदोपदेसुत्तरं । ४१. णिरंतराणि हाणाणि जाव एगहिदिविसेसस्स उक्कस्सपदं । ४२. एदमेगं फद्दयं । ४३. एदेण कमेण अट्ठएहं पि कसायाणं समयूणावलियमेत्ताणि फद्दयाणि उदयावलियादो। ४४, अपच्छिमट्टिदिखंडयस्स चरिमसमय-जहएणपदमादि कादूण जावुकस्सपदेससंतकम्मं ति एदमेगं फद्दयं ।
अव उक्त चूर्णिसन्दर्भका कम्मपयडीकी निम्नलिखित चूर्णिसे मिलान कीजिए
अभवसिद्धियपातोग्गं जहन्नगं पदेससंतकम्मं काऊण तसेसु उववन्नो । तत्थ देसविरतिं विरतिं च बहुयातो वारातो लघृण चत्तारि वारे कसाते उवसामेऊण ततो पुणो एगिंदियाएसु उप्पन्नो, तत्थ पलिग्रोवमस्स असंखेज्जतिभागं अत्थिऊणं पुणो तसेसु उप्पन्नो । तत्थ खवणाए अब्भुद्वितो तस्स चरिमे द्वितिखंडगे अवगते उदयावलियाए गलतीए एगद्वितीसेसाए श्रावलियाए दुसमय-कालद्वितीयं तहिं जहन्नगं पदेससंतं भवति । एवं सव्वजहन्नयं पदेससंतं । सव्वजहन्नतो पदेससंते एगे कम्मखंडपोग्गले पक्खित्ते अन्नं पदेससंतं तम्मि ठितिविसेसे लब्भति । एवं एक्केक्क पक्खिवमाणस्स अणंताणिं तम्मि द्वितिविसेसे लम्भंति जाव गुणियकम्मंसिगस्स तम्मि द्वितिविसेसे उक्कोसं पदेससंतं । एत्तो उक्कोसतरं तस्मि द्वितिविसेसे अन्नं पदेससंतं नत्थि । एयं एक्कं फड्डगं । दोसु द्वितिविसेसेसु एएणेव उवाएण वितियं फड्डगं । तिसु द्वितिबिसेसेसु ततियं फड्डगं । एवं जाव आवलियाए समऊणाते जत्तिया समया तत्तिगाणि फड्डगाणि, चरिमस्स द्वितिखंडस्स चरिमसंछोभसमयं आदि काउं जाव अप्पप्पणो उक्कोसगं पदेससंतं ताव एवं पि एगफड्डगं सव्वहितिगयं जहासंभवेण ।
(कम्म० सत्ता० पृ०६७) पाठक देखेंगे कि इस उद्धरणमें ऊपरका आधा भाग तो शब्दशः समान है ही। साथ ही पीछेका आधा भाग भी अर्थकी दृष्टि से विल्कुल समान है । कम्मपयडीके इस पीछेके भागके विस्तृत अंशको सक्षिप्त करके कसायपाहुडकी चूर्णिमें उसे प्राय उन्हीं शब्दों में कह दिया गया है।
(5) कसायपाहुडकी संक्रमणअधिकारवाली 'अट्ठावीस चउवीस' इत्यादि २७ नं० की गाथा पर जो विस्तृत चूर्णिसूत्र हैं, वे सब कम्मपयडीके संक्रमण-प्रकरणकी 'अठ्ठ-चउरहियवीस' इस १० वी गाथाकी चूर्णिसे शब्द और अर्थकी अपेक्षा पूर्ण समान हैं। इसके अतिरिक्त एक समता दोनों में यह भी है कि उससे आगेकी गाथाओं पर-जो कि दोनोंमे समानरूपसे पाई जाती हैं-चूर्णि न तो कसायपाहुडमे ही मिलती है और न कम्मपयडीम भी । क्या यह समता भी आकस्मिक ही है ? अवश्य ही उक्त समता दोनोचूर्णियोंके एक कर्तृत्वको द्योतक है ।