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संक्रमकरण ]
शब्दार्थ - छब्बीस सत्तवीसण
होता है, चउठाणेसु चार स्थानों में, बावीस
ग्यारह,
इगुणवीसा
उन्नीस ।
सत्तर एकवीसा सत्रह और इक्कीस में, संकमो पन्नवीसाए- पच्चीस का, नियमा निश्चित रूप से, चउसु गईसु तीन प्रकार ।
दर्शनमोह, क करने पर, तिविहे
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उन्नीस में, तेवीसाए - तेईस का, नियमा में, भवे - होता है ।
इक्कीस में, एक्कवीसा - इक्कीस, संकमई (सम्यग्दृष्टि ) सास्वादन और मिश्र दृष्टि में | यहां से आगे, अविसेसा
तो
उवसामगे उपशामक, व उपशामक में, वीसा - वीस, य
[ ३९
छब्बीस और सत्ताईस का, संकमो संक्रम, होइ बाईस, पन्नरसगे पन्द्रह में, एकारस
अट्ठ
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तीन में, य नियम से, पंच
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बावीस पन्नरसगे - बाईस और पन्द्रह में, सत्तगएक्कारसिगुणवीसासु – सात ग्यारह और निश्चय से, पंचवि - पांचों, पंचिंदिएसु - पंचेन्द्रिय
चोद्दसग दसग सत्तग अट्ठारसगे - चौदह, दस, सात, अठारह में, य और, होइ होता है, बावीसा • बाईस का नियमा निश्चय से, मणुयगईए - मनुष्यगति में, नियमा निश्चय से, दिट्ठी - दर्शनमोह, कए करने पर, दुविहे - दो प्रकार ।
तेरसग नवग सत्तग सत्तरस पणग एक्कवीसासु - संक्रमित करता है, सुद्धसासाण मीसेसु
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पंचसु - पांच में, एगुणवीसा – उन्नीस, अट्ठारस में, य और, चउदस चौदह, छसुपगईसु छह और पांच में ।
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अथवा,
अविशेष, संकमन्ति संक्रम में प्राप्त होते हैं, खवगे क्षपक में, वा अथवा, उवसामगेसु और, सत्तगे छक्क पणगे सात, छह, पांच में, और । अठारह, पंचगे चउक्के - पांच चार छह प्रकृतियों में, तेरसगं - तेरह, छक्कपणगंमि
य
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संक्रम, होइ चारों गतियों में, दिट्ठी
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तेरह, नौ, सात, सत्तरह, पांच और
शुद्ध
होता है,
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पंच चउक्के - पांच, चार में, बारस
बारह, एक्कारस ग्यारह, पंचगे तिग चउक्के - पांच तीन और चार में, दसगं दस का, चक्क - पणगे चार और पांच में, नवगं - नौ का, चऔर, तिगंमि तीन में, बोधव्वं जानना चाहिये ।
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सत्त
आठ, दुगतिगचउक्के - दो तीन चार में, सात का, चउक्के तिगे चार और, बोधव्वा. जानना चाहिये, छक्कं • दो में, नियमा
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छह का, दुगम्मि पांच का, तिगेएक्कगदुगे य तीन एक और दो में ।
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