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उपशमनाकरण ]
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परिणामपच्चया उ, णाभोगगया गया अकरणा उ।
गुणसेढी सिं निच्चं, परिणामा हाणिवुड्डिजुया॥३०॥ शब्दार्थ - परिणामपच्चया – परिणाम प्रत्यय (हेतु) से, उ – तथा, णाभोगगया - अनाभोगपने से, गया – गिरते हैं, अकरणा – करण किये बिना, उ – ही, गुणसेढी – गुणश्रेणी, सिं - उनके, निच्चं – नित्य, सदैव, परिणामा – परिणाम वाली, हाणिवुड्डिजुया - हानिवृद्धि युक्त।
गाथार्थ – तथा परिणाम रूप प्रत्यय से अनाभोगपने से देशविरति आदि भावों से जो जीव गिरते हैं, वे करण किये बिना उस भाव को प्राप्त करते हैं । उनको हानि-वृद्धि युक्त परिणाम वाली सदैव गुणश्रेणी होती रहती है।
विशेषार्थ - परिणामों के प्रत्यय से अर्थात् परिणामों के ह्वास के कारणों से जो अनाभोगगत अर्थात् आभोगरहित हो कर देशविरति परिणाम से अथवा सर्वविरति परिणाम से गिर जाते हैं वे अकरण अर्थात् यथाप्रवृत्त आदि करणों से रहित हो पुनः उस पूर्वप्रतिपन्न (प्राप्त) देशविरति या सर्वविरति को प्राप्त होते हैं । इसका तात्पर्य यह है कि -
आभोग के बिना कथंचित् परिणामों के ह्वास से जो देशविरत जीव अविरत को प्राप्त होते हैं . वे परिणामों की विशुद्धि के वश पुनः भी उस पूर्व स्वीकृत देशविरति या सर्वविरति को प्राप्त हुए करण के बिना ही प्राप्त होते हैं। किन्तु जो आभोग से अभिसंधिपूर्वक देशविरति से या सर्वविरति से पतित होते हैं और आभोगपूर्वक ही मिथ्यात्व को प्राप्त होते हैं, वे जीव जघन्य से अन्तर्मुहूर्त काल द्वारा और उत्कृष्ट से बहुत काल द्वारा देशविरति अथवा सर्वविरति को प्राप्त करने के इच्छुक हों तो पूर्वोक्त प्रकार से तीनों करणों पूर्वक ही प्राप्त होते हैं तथा जब तक वे जीव देशविरति को, सर्वविरति को पालन करते हैं, तब तक समय समय में गुणश्रेणी को भी करते हैं।
यहां विशेष बात यह है कि प्रवर्धमान परिणाम वाला जीव अपने अपने परिणामों के अनुसार कदाचित् असंख्यात भाग अधिक, कदाचित् संख्यात गुणवाली, कदाचित् असंख्यात गुणवाली गुणश्रेणी को करते हैं एवं हीयमान परिणाम वाला तो उक्त प्रकार से हीयमान गुणश्रेणी को करता है और अवस्थित परिणाम वाला अवस्थित परिणाम तक गुणश्रेणी को करता है। यह गुणश्रेणी प्रदेशदलिकों की अपेक्षा जानना चाहिये। लेकिन काल की अपेक्षा तो सर्वदा उतने ही प्रमाण वाली होती है और नीचे, क्रम से दलिकों को अनुभव करते हुए क्षय को प्राप्त होने वाले समयों में वह ऊपर ऊपर बढ़ती है। इस प्रकार देशविरति लाभ और सर्वविरति लाभ का आशय जानना चाहिये।