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२ - जीवभेदों में नाम कर्मों के उदीरणा स्थान और भंगों की संख्या
वैक्रिय
उदीरणा स्थान
एकेन्द्रिय
द्वीन्द्रिय
त्रीन्द्रिय .
चतुरिन्द्रिय
सामान्य तिर्यंच
तिर्यंच
सामान्य मनुष्य
वैक्रिय मनुष्य
आहारक मनुष्य
सामान्य केवली
तीर्थकर
स्वमत देव मतांतर (परमत)
स्वमत भंग
नारक
परिशिष्ट ]
परमत भंग
स्वमत
परमत स्वमत: परमत स्वमतः परमत स्वमत: परमत
४१ प्रकृ.
x
x
x
x
x
x
x
x
x
|
४२ प्रकृ.
५० प्रकृ.
X
X
X
५१ प्रकृ.
५२ प्रकृ.
xxx . ४ .
५३ प्रकृ. ५४ प्रकृ.
x
x
८-१६
५५ प्रकृ.
५६ प्रकृ.
४-८
x
१४६९/ २९१७
५७ प्रकृ.
कुल
३९६१
४२ | २२ | २२ | २२ २४५४:४९०६ २८ : ५६ १३०२:२६०२ १९ ३५ | ७ | १ | ५ ३२-६४ / ५
इस प्रकार स्व मत में कुल ३९६१ और परमत में ७७८९ उदीरणा भंग जानना चाहिये।
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