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क्रम
१
३
४
५
६
७
८
प्रकृति नाम
ज्ञानावरणपंचक
दर्शनावरणचतुष्क
निद्राद्विक
स्त्यानर्द्धित्रिक
असातावेदनीय
सातावेदनीय
मिथ्यात्वमोहनीय
मिश्रमोहनीय
४
९
सम्यक्त्वमोहनीय १० अनन्तानुबंधी चतुष्क
उत्कृष्ट जघन्य स्थितिसंक्रम यत्स्थिति प्रमाण एवं स्वामी दर्शक प्रारूप
( गाथा २९ से ४३ तक )
उत्कृष्ट स्थिति सं
कर्म प्रकृति
२ आवली हीन ३०
को. को. सागरोपम
"
77
""
३ आवलीहीन
३० को. को. सागरोपम
अन्तर्मुहूर्तहीन ७० को. को. सागरोपम
सावलिका द्विकान्तर्मुहूर्तहीन ७० को . को. सागरोपम
""
आवलिकाद्विक हीन ४० को को. सागरोपम
यत्स्थिति
आवलीहीन ३० को. को. सागरोपम
"
"
""
आवलिकाद्विकहीन ३० को. को. सागरो.
सावलिकाअन्तर्मुहूर्त हीन७० को को. सागरो.
सावलिकान्तमुहूर्त हीन ७० को. को.
सागरोपम
आवलिका हीन ४० को. को. सागरोपम
उत्कृष्ट संक्रम
स्वामी गुण
पहला गुणस्थान
""
"
"
""
""
अविरत इत्यादि
"
पहले
गुणस्थान
जघन्य स्थिति
संक्रम प्रमाण
१ समय
17
""
आव. हीन पल्यासं.
आव. हीनान्तमुहूर्त
आव. हीन पल्या संख्य भाग
१ समय
आवलिकाहीन पल्यो
पम संख्येय भाग
यत्स्थिति
समयाधिक आवली
"
आवलिकासंख्य
भागाधिक आवली
पल्यासंख्यभाग
अन्तर्मुहूर्त
पल्योपमा संख्येय
भाग
समयाधिक आवलिका
पल्योपमासंख्येय
भाग
जघन्य संक्रम स्वामी गुणस्थान
१२वां गुणस्थान
९वें गुणस्थान
१३वें गुणस्थान
४थे से ७वें
गुणस्थान
४२४ ]
=
[ कर्मप्रकृति