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परिशिष्ट ]
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चित्र १
द्वितीय स्थिति के
निषेक
इस द्रव्य को नीचे से ऊपर की तरफ क्रम पूर्वक उठा उठा कर नीचे निक्षेप भाग में निक्षेपण -
करें। अतीत्थापना भाग में न करें
एक समय बद्ध सर्व निषेक ६५५३६
कर्म की कुल स्थिति १०० वर्ष उदय योग्य निषेक अबाधा
प्रथम स्थिति के १६ निषेक
जघन्य अतीत्थापना के १०निषेक
जघन्य निक्षेप के
६ निषेक
अबाधा
अतीत्थापना के समयों में सम्मिलित हो गया है।
३. इस प्रकार के क्रम से द्वितीयावली के तृतीयादि निषेकों का अपकर्षण होते निक्षेप तो पूर्वोक्त प्रमाण ही और अतीत्थापना एक एक समय अधिक क्रम से जानना। इस प्रकार बढ़ते बढ़ते अतीत्थापना आवली प्रमाण (अर्थात् १६ निषेक प्रमाण) होती है। यह उत्कृष्ट अतीत्थापना है।
४. यहां से आगे ऊपर के निषेकों का द्रव्य अर्थात् द्वितीयस्थिति के नं. १७ आदि निषेक अपहत किये जाने पर सर्वत्र अतीत्थापना तो आवली मात्र ही जानना और निक्षेप एक एक समय के क्रम से बढ़ता जाता है। वहां स्थिति के अंतिम निषेक के द्रव्य को अपहृत कर अधोवर्ती निषेकों में निक्षेपण करने पर उस अंतिम निषेक के नीचे आवली मात्र निषेक तो अतीत्थापना रूप है और समय अधिक दो आवली से हीन उत्कृष्ट स्थिति मात्र निक्षेप है। सो इसे उत्कृष्ट निक्षेप जानना।
सर्व स्थितियों में से एक आवलि अबाधा काल और एक आवलि अतीत्थापना काल तथा एक समय अंतिम निषेक का कम करने पर यह उत्कृष्ट निक्षेप प्राप्त होता है।