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संक्रम प्रकृतियां
संक्रम काल
स्वामी
पतद्ग्रह | पतद्ग्रह प्रकृति | संक्रम स्थान ।
स्थान
कितनी कौनसे सत्ता । गुणस्थान
४२२ ]
३
२१
९ वें
समयोनआवद्विक
अन्तरकरण के बाद
अप्र. प्रत्या. मायावर्ज पूर्वोक्त । अप्र. प्रत्या. लोभ वर्ज पूर्वोक्त । | २१
९ वें
अन्तर्मुहूर्त
अन्तरकरण के बाद
इस प्रकार ९, ५, ४, ३, २,१ ये ६ पतद्ग्रह और २१,२०, १९, १८, १२, ११, ९,८,६,५, ३, २, ये १२ संक्रमस्थान क्षायिक सम्यग्दृष्टि के उपशम श्रेणि में है।
[ कर्मप्रकृति