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[ कर्मप्रकृति
प्रकृतिक। इनमें नामकर्म की सभी प्रकृतियों का समुदाय रूप एक सौ तीन प्रकृतिक स्थान है। यही तीर्थकर नाम रहित एक सौ दो प्रकृतिक सत्वस्थान होता है । एक सौ तीन में से आहारकसप्तक के बिना छियानवै प्रकृतिक सत्वस्थान होता है और वही तीर्थंकर नाम रहित पंचानवै प्रकृतिकसत्वस्थान होता है। पंचानवै में से देवद्विक रहित अथवा नरकद्विक रहित, तेरानवै प्रकृतिक सत्वस्थान होता है तथा एक सौ तीन में से नामकर्म की तेरह प्रकृतियां कम करने पर नव्वै प्रकृतिक सत्वस्थान होता है । वही तीर्थंकर रहित नवासी प्रकृतिक सत्वस्थान होता है तथा तेरानवै में से नरकद्विक और वैक्रियसप्तक रहित अथवा देवद्विक और वैक्रियसप्तक रहित चौरासी प्रकृतिक सत्वस्थान होता है। छियानवै में से नाम त्रयोदश रहित तेरासी प्रकृतिक सत्वस्थान होता है। पंचानवै में से नामत्रयोदश रहित बयासी प्रकृतिक सत्वस्थान होता है अथवा चौरासी में से मनुष्यद्विक रहित बयासी प्रकृतिक सत्वस्थान होता है । मनुष्यगति, पंचेन्द्रियजाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशः कीर्ति और तीर्थकर रूप नौ प्रकृतिक सत्वस्थान होता है और यही तीर्थंकर रहित आठ प्रकृतिक सत्वस्थान होता है।
शब्दार्थ - एगे – एक में, छ चत्तारि - चार, अट्ठग - आठ, दोसु - चार, छ छह, तु और, अजोगम्म
अब इन्हीं प्रकृति सत्वस्थानों का गुणस्थानों में विचार करते हैं
एगे छ होसु, दुगं, पंचसु चत्तारि अट्ठगं कमसो तीसु चउक्कं, छत्तु अजोगम्मि ठाणाणि छह, होसु – दो में, दुगं दो में, कमसो क्रमसे, ती अयोग में, ठाणाणि
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यथा
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स्थान ।
गाथार्थ • क्रम से एक गुणस्थान में छह,
दो गुणस्थान में दो, पांच गुणस्थान गुणस्थानों में आठ, तीन गुणस्थानों में चार और अयोगि में छह सत्वस्थान होते हैं ।
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दोसु ।
॥ १५ ॥
दो, पंचसु - पांच में, तीन में, चउक्कं - .
विशेषार्थ एक अर्थात् पहले मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में छह प्रकृति सत्कर्मस्थान होते हैं, १ एक सौ दो, २ छियानवै, ३ पंचानवै, ४ तेरानवै, ५ चौरासी ओर ६ बयासी प्रकृतिक । प्रश्न • छियानवै प्रकृतिक सत्वस्थान तीर्थकर नाम सहित होता है । अतः वह मिथ्यादृष्टि में कैसे पाया जाता है ?
में चार,
उत्तर
कोई मनुष्य पहले नरक की आयु बांधकर और पीछे सम्यक्त्व प्राप्त कर उसके निमित्त से तीर्थकर नामकर्म को बांधकर नरक में जाने के अभिमुख होता हुआ सम्यक्त्व को १. यहां बंधन नामकर्म के १५ भेद ग्रहण करके नाम कर्म के एक सौ तीन आदि १२ प्रकृतिक सत्वस्थान बतलायें हैं ।