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उदीरणाकरण ]
[ २४७ सैंतालीस प्रकृतियों की, तिहा – तीन प्रकार की, अणुक्कोसा - अनुत्कृष्ट, सेसविगप्पा – शेष विकल्प, दुविहा - दो प्रकार के, सव्वविगप्पा - सर्व-विकल्प, य - और, सेसाणं - शेष प्रकृतियों की।
__गाथार्थ – मिथ्यात्व की अनुत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा चार प्रकार की है। सैंतालीस प्रकृतियों की अनुत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा तीन प्रकार की है। इनके शेष विकल्प और शेष प्रकृतियों के सर्व विकल्प दो प्रकार के होते हैं।
विशेषार्थ – मिथ्यात्व की अनुत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा चार प्रकार की होती है, यथा – सादि, अनादि, ध्रुव और अध्रुव। वह इस प्रकार है कि -
जो अनंतर समय में संयम सहित सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा, उस मिथ्यादृष्टि के मिथ्यात्व की उत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा होती है और वह सादि एवं अध्रुव है। क्योंकि वह एक समय मात्र होती है, अतः सादि है । इस स्थान को अप्राप्त जीव के अनादि प्रदेश उदीरणा होती है । ध्रुव, अध्रुव विकल्प पूर्व के समान जानना चाहिये, अर्थात् ये दोनों विकल्प अभव्य और भव्य की अपेक्षा होते हैं।
सैंतालीस प्रकृतियों की अनुत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा तीन प्रकार की होती है, यथा - अनादि ध्रुव और अध्रुव । वह इस प्रकार है कि -
पांच ज्ञानावरण, पांच अंतराय और चार दर्शनावरण इन चौदह प्रकृतियों की उत्कृष्ट प्रदेशउदीरणा गुणित कर्मोंशिक क्षीणकषाय, संयत के अपनी अपनी उदीरणा के अंतिम समय में होती है। इसलिये वह सादि और अध्रुव है। उससे अन्य सभी प्रदेश-उदीरणा अनुत्कृष्ट है और वह ध्रुव उदीरणा रूप होने से अनादि है, ध्रुव, अध्रुव विकल्प अभव्य और भव्य की अपेक्षा जानना चाहिये। तैजस सप्तक, वर्णादि बीस, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, अगु‘लघु और निर्माण नाम इन तेतीस प्रकृतियों की उत्कृष्ट प्रदेश-उदीरणा, गुणितकांशिक सयोगिकेवली के चरम समय में होती है। इसलिये वह सादि और अध्रुव है। उससे भिन्न सभी प्रदेश-उदीरणा अनुत्कृष्ट है और वह ध्रुव-उदीरणा रूप होने से अनादि होती है। इन प्रकृतियों के ध्रुव और अध्रुव विकल्प पूर्व के समान हैं।
___ 'सेसविगप्पा दुविहा' इत्यादि अर्थात् ऊपर कहे गये विकल्पों से शेष जो जघन्य, अजघन्य और उत्कृष्ट रूप विकल्प हैं वे दो प्रकार के होते हैं, यथा - सादि और अध्रुव। उनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है -
उक्त सभी प्रकृतियों की जघन्य प्रदेश-उदीरणा अतिसंक्लिष्ट परिणाम वाले मिथ्यादृष्टि में पाई जाती है और अतिसंक्लिष्ट परिणाम से च्युत होने पर उक्त प्रकृतियों की अजघन्य प्रदेश-उदीरणा होती