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उदीरणाकरण ]
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आणपाणभासासु – श्वासोच्छ्वास और भाषा पर्याप्ति से, सव्वण्णूण - केवली सर्वज्ञ के, उस्सासोउश्वास, भासा – भाषा, वि – भी, य - और, जा – जब तक, न रुझंति - निरोध नहीं होता है।
गाथार्थ – श्वासोच्छ्वास और भाषापर्याप्ति से पर्याप्त जीव क्रमशः उच्छवास और स्वर के उदीरक होते हैं तथा केवली सर्वज्ञ के जब तक इन दोनों का निरोध नहीं होता है तब तक वे भी इन दोनों के उदीरक होते हैं।
विशेषार्थ – उच्छ्वास और स्वर शब्द की आनप्राण और भाषा शब्द के साथ यथाक्रम से योजना करना चाहिये। तब उसका आशय यह हुआ कि उच्छ्वास नामकर्म के उदीरक प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त सभी जीव होते हैं तथा 'सराण य त्ति' अर्थात् सुस्वर और दुःस्वर इन दोनों नामकर्मों के भी पूर्वोक्त भाषापर्याप्ति से पर्याप्त सभी जीव उदीरक होते हैं । यद्यपि स्वर नामकर्मों के उदीरक पूर्व में कहे जा चुके हैं, तथापि भाषापर्याप्ति से पर्याप्त जीव ही उदीरक होते हैं, यह विशेषता बतलाने के लिये पुनः यहां उनका उल्लेख किया है तथा सर्वज्ञ केवली भगवन्तों के श्वासोच्छ्वास और भाषा जब तक निरुद्ध नहीं की जाती है तब तक उनके उन दोनों की उदीरणा होती है। उनके निरोध के अनन्तर उदय का अभाव होने से उनकी उदीरणा नहीं होती है। तथा –
देवो सुभगाएजाण गब्भवक्कंतिओ य कित्तीए।
पज्जत्तो वज्जित्ता, ससुहुमनेरइय सुहुमतसे ॥१६॥ शब्दार्थ – देवो - देव, सुभगाएजाण - सुभग और आदेय नाम के, गब्भवक्कतिओगर्भोपक्रान्तिक (गर्भज) य - और, कित्तीए - यश:कीर्ति के, पज्जत्तो - पर्याप्त, वजित्ता - छोड़कर, ससुहुम - सूक्ष्म एकेन्द्रिय, नेरइय - नारक, सुहुमतसे -- सूक्ष्म त्रस (तेजसकायिक, वायुकायिक जीव)।
गाथार्थ – कितने ही देव और गर्भज मनुष्य तिर्यंच सुभग और आदेय नाम के उदीरक होते हैं । सूक्ष्म एकेन्द्रिय, नारक और सूक्ष्म त्रसों को छोड़कर शेष पर्याप्त जीव यश:कीर्ति नाम के उदीरक होते हैं।
विशेषार्थ – गाथा में 'देवो' इत्यादि शब्द जाति की अपेक्षा एकवचन कहा है। अतः कितने ही देव और कितने ही गर्भोत्पन्न तिर्यंच और मनुष्य जो सुभग और आदेय नामकर्म के उदय में वर्तमान हैं, वे सुभग और आदेय नामकर्म के उदीरक हैं, तथा सूक्ष्म एकेन्द्रिय, नारकों और सूक्ष्म त्रस १. 'सराण य त्ति' प्राकृत भाषा में द्विवचन नहीं होता है। अत: यहां द्विवचन के अर्थ में बहुवचन का प्रयोग है। २. देवो, गब्भवक्कंतिओ, पज्जत्तो, इन तीन में जाति सामान्य की अपेक्षा एकवचन है लेकिन अर्थ से बहुवचन जानना।