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उदीरणाकरण ]
[ १८७ इस प्रकार स्वमत से सामान्य मनुष्य में वैक्रियशरीरी, आहारकशरीरी और केवली मनुष्यों के सर्व भंगों की संख्या क्रमशः १३०२+१९+७+६ को मिलाने पर तेरह सौ चौंतीस १३३४ होती है और परमत से २६०२+३५+७+६ को मिलाने पर दो हजार छह सौ पचास २६५० होती है। देवों के उदीरणास्थान
मनुष्यों के उदीरणास्थानों और भंगों को बतलाने के बाद अब देवों के उदीरणास्थानों का कथन करते हैं।
देवों के उदीरणास्थान छह हैं, यथा – बयालीस, इक्यावन, तिरेपन, चउवन, पचपन और छप्पन प्रकृतिक।
पूर्वोक्त ध्रुव उदीरणा वाली तेतीस प्रकृतियों में देवगति, देवानुपूर्वी, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस नाम, बादर नाम, पर्याप्तनाम, सुभग आदेय युगल, दुर्भग अनादेय युगल में से कोई एक युगल, यश:कीर्ति अयश:कीर्ति में से कोई एक ये नौ प्रकृतियां मिलाने से बयालीस प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। इस स्थान में सुभग आदेय युगल, दुर्भग अनादेय युगल के साथ यश:कीर्ति, अयश:कीर्ति के द्वारा स्वमत से चार भंग होते हैं और मतान्तर से सुभग, दुर्भग, आदेय, अनादेय और यश:कीर्ति अयश:कीर्ति की अपेक्षा आठ भंग होते हैं।
तत्पश्चात् शरीरस्थ देव के वैक्रियसप्तक समचतुरस्रसंस्थान उपघात और प्रत्येक नाम ये दस प्रकृतियां मिलाने पर और देवानुपूर्वी को निकालने पर इक्यावन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी पूर्व के समान स्वमत से चार भंग और मतान्तर से आठ भंग होते हैं।
तदनन्तर शरीरपर्याप्ति से पर्याप्त देव के पराघात और प्रशस्त विहायोगति के मिलाने पर तिरेपन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी पूर्व के समान स्वमत से चार भंग और मतान्तर से आठ भंग होते हैं । देवों के अप्रशस्तविहायोगति के उदय का अभाव होने से तदाश्रित भंग प्राप्त नहीं होते हैं।
तदनन्तर प्राणापानपर्याप्ति से पर्याप्त देव के पूर्वोक्त तिरेपन प्रकृतिक स्थान में उच्छ्वासनाम के मिलाने पर चउवन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी पूर्व के समान स्वमत से चार भंग और मतान्तर से आठ भंग होते हैं । अथवा शरीरपर्याप्ति से पर्याप्त देव के उच्छ्वास का उदय नहीं होने पर और उद्योत नामकर्म के उदय होने पर चउवन प्रकृतिक उदीरणास्थान होता है। यहां पर भी पूर्व के समान स्वमत से चार भंग और मतान्तर से आठ भंग होते हैं । इस प्रकार चउवन प्रकृतिक उदीरणास्थान में स्वमत से आठ भंग और मतान्तर से सोलह भंग होते हैं।
तत्पश्चात् भाषापर्याप्ति से पर्याप्त देव के उच्छ्वास सहित चउवन प्रकृतिक उदीरणास्थान में