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उदीरणा | मिथ्यात्व | सास्वादन मिश्र अविरत स्थान
चौ भंग चौ भंग चौ भंग | चौ भंग
देशविरत विरत | अपूर्वकरण | अनिवृत्ति सूक्ष्म संपराय कुल चौबीसी कुल भंग (प्रमत्ता प्रमत्त)
करण भंग भंग । चौ भंग | चौ भंग चौ भंग
[28
| ३
७२ | १
२४
१
२४.१
२४ | x
x |
१४४
८
प्र. | ३
७२
२
४८] २
४८
३
७२
१
२४ | x
x | x
xx
२६४
७ प्र. १
२४ | १
२४
१
२४ | ३
७२ |
३
७२ | १-१
२४-२५ x
x
x
| १०+१=११ /२४०+२४
=२६४
६
प्र. | x
x
x
x
x
x
| १
२४ | ३
७२ | ३-३ ७२-७२ १
२४
७+४=११ |१६८+९६
| =२६४
x | x
x
x
x
x
x |
१
२४ | ३-३ ७२-७२ २
४८
४+५=९
९६+१२०
=२१६
x
x
x
x
x
x
x
x | x
x
| १-१
२४-२४ १
२४
१+२३
|
७२
x
x
x
x
१२
X
।
योग
|८
१९२| ४
९६ | ४
९६ | ८
१९२| ८
१९२ / ८८ १९२/ ४
९६
१६ ।
१०२५ ४०+१२५२ +२४०
| =१२६५
[कर्मप्रकृति