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अथ हेतोश्रातुर्विध्यमाह – 'हेऊचउव्हेि' इत्यादि । हेतुः - हिनोति गमयति ज्ञेयमिति हेतुः साध्यनिरूपितव्याप्तिमान् अन्यथाऽनुपपत्तिलक्षणः यथा पर्वतो वह्निमान् धूमान्यथानुपपत्तेरिति, तदुक्तम् - " अन्यथाऽनुपपन्नत्थं हेतोर्लक्षणमीरितम्तदप्रसिद्धिसन्देह विपर्यासैस्तदाभता " ॥ १ ॥ अत्र लोकपूर्वार्द्धन हेतोर्लक्षणम्,
अन्य प्रश्नों के उत्तर में भी ऐसाही समझना चाहिये जो प्रश्न किया गया है वही उत्तर रूपमें यहां प्रकट किया गया है ।
"हेऊ चउत्रिहे" हेतु चार प्रकार का कहा गया है - यापक १, स्थापकर, व्यंसक३ और लूषक४ जो ज्ञेयका गमक-चतानेवाला होता है वह हेतु है। यह हेतु अपने सांध्य के साथ अविनाभाव सम्बन्ध रूप व्याप्तिवाला है " माध्याविनाभावित्वेन निश्चितो हेतुः " ऐसा हेतुका लक्षण कहा गया है जो अपने साध्य के साथ अविनाभाव संबन्धवाला होता है वही हेतु होता है यह हेतु अन्यथानुपपत्ति है लक्षण जिसका ऐसा होता है यहां अन्यथा शब्द से साध्य के बिना लिया गया है और अनुपपत्ति शब्द से हेतुका नहीं होना लिया गया है जैसे- " पर्वतोऽयं वह्निमान् धूमान्यथानुपपत्तेः " यह पर्वत अग्निवाला है क्योंकि धूम की अन्यथा (अग्निके बिना) अनुपपत्ति होतो है विना अग्नि के धूम होता नहीं है, पर वह है, इससे पर्वतमें अग्नि है यह बात प्रमाणित - अनुमित हो जाती है यही बात - "अन्यथानुपपन्नत्वं हेतोर्लक्षणપ્રશ્નોના ઉત્તરા વિષે પણ એવું સમજવુ' જોઈ એ કે જે પ્રશ્ન કરવામાં આવ્યા છે, તેને જ ઉત્તર રૂપે અહીં પ્રકટ કરવામાં આવ્યે છે.
" देऊ चउव्विहे " हेतुना नीचे प्रभाषे यार प्रहार ह्या छे – (१) याय, (२) स्थाय, ( 3 ) व्यास भने (४) सूषपु.
જે જ્ઞેયને પતાવનાર હાય છે તેનું નામ હેતુ છે. આ હેતુ પેાતાના साध्यनी साधे अविनाभाव संबंध ३५ व्यासिवाणा होय छे. " साध्याविनाभावित्वेन निश्चितो हेतु " मेवु हेतुनुं वक्षाय छे. पोताना साध्यनी સાથે અવિનાભાવ સંબધ વાળા હોય છે એનું નામ જ હેતુ છે. તે હેતુ અન્યથાનુપપત્તિ લક્ષણવાળા હાય છે. અહી અન્યથા” પદ સાધ્ય વિનાનુ વાચક છે અને ‘ અનુપપત્તિ શબ્દ હેતુના અભાવને વાચક છે. એટલે हे साध्यनो अभाव होय तो हेतुना या मलाव ४ होय छे. नेमडे - " पर्वतो६यम् वह्निमान् धूमान्यथानुपपत्तेः આ પર્યંત અગ્નિવાળા છે, કારણ ધૂમાડાની અન્યથા (અગ્નિ વગર) અનુપપત્તિ જ હાવી જોઇએ એટલે કે ધૂમાડા વિના અગ્નિ હૈ।તી નથી, ધૂમાડા છે એટલે અગ્નિ પણ હાવી જોઇએ, આ વાત तेना द्वारा प्रभावित — अनुमानित यह लय छे भेट वात-" अन्यथानुपप
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