Book Title: Sthanang Sutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 594
________________ ५६ स्थानाशस्त्रे टीका - ' चमरेस्स णं' इत्यादि -- व्याख्या म्रुगमा, नवरम् - चमरो दक्षिणनिकायेन्द्रो, चलिस्तु उत्तर निकायेन्द्रः || सू० १६ ॥ सम्प्रति चमरेन्द्रादीनां सांग्रामिकान् अनीकान् अनीकाधिपतींश्च निरूपयति मूलम् - चमरस्त पणं असुरिंदस्त असुरकुमाररण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संग्रामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहापायत्ताणिए १, पीढाणिए २, कुंजराणिए ३, महिसाणिए ४, रहाणिए ६ | दुमे पायाणियाहिवई सोदामी आसराया पीढाणियाहिवई, कुन्धू हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, लोहियक्खे महिलाणियाहिवई, किन्नरे रहाणिपाहिवई । बलिस्स णं वइरोयनिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा - पायत्ताणिए जांव रहाणिए । महद्दुमे पायताणयाहिवई, महासोयामो आसराया पीढाणियाहिवई, मालंकारो हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, महालोहियक्खो महिसाणियाहिवई, किंपुरिसे रहाणिया हिवई । धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स नागकुमारण्णो पंच संगामिया अणिया पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा - पायत्ताणिए जाव रहाणिए । भद्दसेणे पायत्ताणियाहिवई, जसोधरे आसराया पोढाणियाहिवई, सुदंसणे हत्थराया कुंजराणियाहिवई, नीलकंठे महिसा - णियाहिवई, आणंदे रहाणियाहिवई । भूयाणंदस्स नागकुमा पलि है, इसकी भी पांच अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे- शुम्भा १ निशुम्मा २ रम्भा ३ निरम्भा और मदना ५ ॥ नू० १६ ॥ 1 નામના ઈન્દ્ર છે તેની પાંચ અગ્રમહિષીઓનાં નામ નીચે પ્રમાણે છે— (१) शुम्भा, (२) निशुम्ला, ( 3 ) २'ला, (४) निर'ला मने (4) महना. सू. १९

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