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( १०८ ) ढंग से इस प्रकार मनुष्य की अस्थिरता के विषय में। 7. (जहाज से) उतरने का स्थान 8. अनुवाद 9. कहा जाता है)-अवतप्ते नकुलस्थितं त एतत --- | जोहड़, तालाब 10 प्रस्तावना, भूमिका । सिद्धा।
अवतारक (वि.) (स्त्री०--रिका) [अव+तु+णिच+ अवतमसम् [प्रा० स०] झुटपुटा, अल्पांधकार-क्षीणेऽवत- ण्वुल ] 1. किसी को जन्म देने वाला 2. अवतार
मसं तमः-अमर०, अंधकार-अवतमसभिदायै भास्व- लेने वाला। ताभ्यद्गतेन-शि० १११५७, (यहाँ मल्लि० कहता | अवतारणम् [अव+त+णिच् + ल्युट् ] 1. उतारना 2. है:-यद्यपि क्षीणेऽवतमस तम इत्युक्तं तथापि इह | अनुवाद 3. किसी भूत प्रेत का आवेश 4. पूजा, विरोधाद्विशेषतादरेण सामान्यमेव ग्राह्यम्)।
आराधना 5. भूमिका या प्रस्तावना । अवतरः [अव+त+अप्] उतार, नै० ३५३, शि० अवतीर्ण (भू० क० कृ०) [अव+तृ+क्त] 1. नीचे आया १२४३ ।
हुआ, उतरा हुआ 2. स्नात 3. पार गया हुआ, पार अवतरणम् [ अव+त+ल्युट् ] 1. स्नान करने के लिए। किया हआ-अपि नामावतीणोसि वाणगोचरम
पानी में नीचे उतरना, उतार, नीचे आना 2. अवतार मा० १। दे० 'अवतार' 3. पार करना 4. स्नान करने का अवतोका [अवपतितं तोकम् अस्याः , प्रा० ब०] स्त्री या पवित्र स्थान 5. एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद गाय जिसका किसी दुर्घटना के कारण गर्भ गिर
करना 6. परिचय 7. उद्धृत किया हुआ, उद्धरण। गया हो। अवतरणिका [ अबतरणी+कन् ह्रस्वः टाप] 1. ग्रन्थ के | अवत्तिन (वि.) [अब+दो+इनि] जो विभाजन करता
आरम्भ में किया गया मंगलाचरण, जो कि, कहते हैं, है, काटकर पृथक् करता है। पंच पांच भागों में संबोधित किये गये देवताओं को स्वर्ग से नीचे उतार बाँटने वाला। लाता है, 2. प्रस्तावना, भूमिका ।
अवदंशः [अव+देश+घञा ऐसा चरपरा भोजन जिसके अवतरणी [ अवतरति ग्रन्थोऽनया-अवत+करणे ल्युट ] खाने से प्यास लगे, उत्तेजक । भूमिका।
अवदाधः [अव+दह+घा हस्य घः] 1. गर्मी 2. ग्रीष्म अवतर्पणम् [अव+तृप-+ ल्युट्] शान्ति देने वाला
ऋतु। उपचार।
अवदात (वि.) [अव+दे+क्त] 1. सुन्दर-अवदातअवताडनम् [अव+त+णिच् + ल्युट ] 1. कुचलना,
कांतिः- दश० १०७, 2. स्वच्छ, पवित्र, निर्मल, रौंदना, नैसगिकी सुरभिणः कुसुमस्य सिद्धा मनि
परिष्कृत-सर्वविद्यावदातचेता:-का० ३६, 3. उज्ज्वल, स्थितिन चरणरवताडनानि-उत्तर० १।१४ 2. श्वेत-- रजनिकरकलावदातं कुलम्--का०२३३, कुंदामारना।
वदाताः कलहंसमाला:-भट्टि० २।१८, 4. गुणी, सद्गुणी अवतानः [अव+तन्+घञ.] 1. फैलाव 2. धनुप का |
अन्यस्मिन् जन्मनि न कृतमवदातं कर्म---का० ६२, तनाव 3. आवरण, चंदोवा ।
5. पीला-तः श्वेत या पीला ग। अवतारः [अव+त+घा ] 1. उतार, उदय, आरंभ | अवदानम् [अव+दो+ल्युट् ] 1: पवित्र एवं मान्यता
-वसन्तावतारसमये-श० १, 2. रूप, प्रकट होना प्राप्त वृत्ति 2. सम्पन्न कार्य 3. शौर्य सम्पन्न या —मत्स्यादिभिरवताररवतारवताऽवतावसूधाम्-शंकर० कीर्तिकर कार्य, पराक्रम, शूरवीरता, प्रशस्त सफलता, 3.देवता का भूमि पर पदार्पण, अवतार लेना.-कोऽप्येप संगीयमान त्रिपुरावदान:-कु० ७।४८, प्रापदस्त्रमवसंप्रति नवः पुरुषावतारः उत्तर० ५।३३ धर्मार्थ- दानतोषितात्-रधु० ११।२१, 4. कथावस्तु 5. काट कामामोक्षाणामवतार इवाङ्गवान् --रघु० १०१८४, 4. कर टुकड़े २ करना। विष्णु का अवतार--विष्णुर्येन दशावतारगहने क्षिप्तो अवदारणम् [अव-+-+णिच् + ल्युट् ] 1. फाड़ना, महासंकटे-भर्त० ३.९५, (विष्ण के दस अवतार नीचे बांटना, खोदना, काट कर टुकड़े २ करना 2. कुदाल, लिखे श्लोक में बताये गये हैं :-वेदानुद्धरते जगन्नि- खुर्पा। वहते भगोलमद्विभ्रते, दैत्यं दारयते बलि छलयते क्षत्र- अबदाहः [ अव+दह+घा ] गर्मी, जलन। क्षयं कुर्वते । पौलस्त्यं जयते हलं कलयते कारुण्यमात- अवदीर्ण (भ० क० कृ०) [ अव+द+क्त ] 1. बाँटा न्वते, म्लेच्छान्मर्छयते दशाकृतिकृते कृष्णाय तुभ्यं हुआ, टूटा हुआ 2. पिघलाया हुआ, खंडित 3. हड़नमः ।। मत्स्यः कर्मो वराहश्च नरसिंहोऽथ दामनः, | वड़ाया हुआ। रामो रामश्च कृष्णश्च बुद्ध: कल्की च ते दश ।। गीत०) | अवदोहः [ अब दुह +घञ 11. दुहना, 2. दूध । 5. नया दर्शन, विकास, जन्म-नवावतारं कमलादि- अवद्य (वि.) [न० त०] त्याज्य, निंद्य, प्रशंसा के वोत्पलम्-- रघु० ३।३६, ५।२४, 6. तीर्थ स्थान । अयोग्य-न चापि काव्यं नवमित्यवद्यम्-मालवि०
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