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विषय-सूची विषय पृष्ठ
विषय सिद्धोंको नमस्कार पूर्वक आराधनाका चारित्र ज्ञान और दर्शन एक ही हैं का कथन करनेकी प्रतिज्ञा
चारित्रमें उद्योग और उपयोग ही तप है शास्त्रके आदिमें नमस्कार करनेका प्रयोजन २ चारित्रको प्रधानताको लेकर समाधान सिद्ध शब्दके चार अर्थ
४ दुःख दूर करना ज्ञानका फल आराधनाकी उपयोगिता
__ अन्य व्याख्याओंकी समीक्षा आराधनाका स्वरूप
७ निर्वाणका सार अव्याबाध सुख उद्योतन, उद्यवन आदिका स्वरूप
समस्त प्रवचनका सार आराधना संक्षेपसे दो आराधना कही हैं
१० आराधनाकी महत्ताका कारण संक्षेपके तीन भेद
११ अन्त समय विराधना करनेपर दर्शनकी आराधना करनेपर ज्ञानकी
__ संसारकी दीर्घता आराधना नियमसे होती है ज्ञानकी
अन्य व्याख्याकारकी समीक्षा आराधना करनेपर दर्शनकी आराधना
समिति, गुप्ति, दर्शन और ज्ञानके अतिचार भजनीय है
आराधना ही सारभूत है उक्त विषयमें अन्य व्याख्याकारोंके
यदि मरते समयकी आराधना सारभूत. _मतकी समीक्षा
है तो अन्य समयमें आराधना क्यों मिथ्यादृष्टि ज्ञानका आराधक नहीं
करना, इसका समाधान नयका स्वरूप तथा निरपेक्षनयके
उदाहरण द्वारा समर्थन __निरासके लिए शुद्ध विशेषण
योग शब्दके अनेक अर्थ
४४ संयमका अर्थ चारित्र
मिथ्यात्व आदिको जीतकर ही श्रामण्य संयमकी आराधना करनेपर तपकी
__ भावनावाला आराधना करनेमें समर्थ ४५ आराधना नियमसे, तपकी आराधनामें
मिथ्यात्वके भेदोंका स्वरूप और उनको ___ चारित्रकी आराधना भजनीय
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जीतनेका उपाय अन्य व्याख्याकारोंकी समीक्षा
४६-४७ बाह्यतपके विना भी निर्वाणगमन २१ मरणके सतरह भेद
४९ असंयमी सम्यग्दृष्टीका भी तप व्यर्थ २२ सम्यग्दृष्टि और संयतासंयतका बालअन्य व्याख्याकारोंकी समीक्षा
पण्डितमरण चारित्रकी आराधनामें सबकी आराधना २४ सशल्यमरणके दो भेद अन्य व्याख्याकारोंकी समीक्षा
२६ निदानके तीन भेद चारित्राराधनाके साथ ज्ञान और दर्शनकी; वसट्टमरणके चार भेद आराधनाका अविनाभाव
२७ कषायवश आर्तमरणके चार भेद
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