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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८८ द्रव्यप्रमाणनिरूपणम् चतुःषष्टिका । एवं मानिकाया:-द्वात्रिंशत्तमभागवर्तित्वादष्टपलप्रमाणा द्वात्रिंशिका, षोडशभागवत्तित्वात-षोडशपलप्रमाणा षोडशिका, अष्टमभागवतित्वात् द्वात्रिंशत्पलपमाणा अष्टभागिका, चतुर्भागवर्तित्वात् चतुष्पष्टिपलमाना चतुर्भागिका, अर्ध भागवत्तिनी अष्टाविंशत्यधिकशतपलमाना चार्धमानिका बोध्या। तथा-पट्पश्चाशदधिकशतद्वयमानप्रमाणा मानिका बोध्या। अमुमेवार्थमाह-द्वे चतुष्पष्टि के द्वात्रिंशिका, द्वे द्वात्रिंशके षोडशिका-इत्यादिना 'द्वे अर्द्धमान्यौ मानी' इत्यन्तेन पदसम्हेन। एतेन रसमानप्रमाणेन किं प्रयोजनम् ? इति प्रश्नस्योत्तरमाह-एतेन रसमानप्रमाणेन वारकपटककरकादिस्थानां रसानां मानप्रमाण१२८ पल प्रमाण अर्धमानिका नाम का रस प्रमाण होता है। २५६ पल प्रमाण मानी नाम का रसप्रमाण होता है । इस प्रकार रसमान को कह कर अब सूत्रकार इसी अर्थ को इस प्रकार से कहते हैं-(दो चउसद्वियाओ बत्तीसीया, दो बत्तीसियाओ सोलसिया, दो सोलसियाओ अट्ठभाइया, दो अभाहयाओ च उभाइया, दो चउभाइयाओ अद्धमाणी, दो अद्धमाणीओ माणी) दो चतुष्षष्टिका की १ छात्रिंशिका होती है। दो द्वात्रिंशिकाओं की १ षोडशिका होती है। दोषोडशिकाओं की १ अष्टभागिका होती है। दो अष्टभागिकाओं की १ चतुर्भागिका होती है। दो चतुर्भागिकाओं की १ अर्द्धमानी होती है । दो अर्द्धमानियों की १मानी होती है। (एएणं रसमाणप्पमाणेणं वारकघडककरक कालसिय गागरियदिइयकरोडिय कुंडिअ संसियाणं रसाणं रसमोणपमाण निवित्तिलक्खणं भवइ-से तं रसमाणप्पमाणे-ले तं माणे) इस रसमान ભાગ પ્રમાણ એટલે કે ૧૨૮ પલપમાણુ અર્ધમાનિકા નામક રસપ્રમાણ હોય છે ૨૫૨ પલપ્રમાણુ માની નામક રસપ્રમાણુ હોય છે. આ પ્રમાણે २समान हीन सूत्रा२ मे अर्थन मारीत ५८ रे छ-(दो चउसदि. याओ बत्तीसिया, दो बत्तीसियाओ सोलसिया, दो सोलसियाी, अदुभाइया, यो अदभाइयाओ चउभाइया दो चउभाइयाओ अद्धमाणी, दो अद्धमाणीओ माणी) ચતુષ્ટિકાની ૧ કાત્રિશિકા થાય છે. બે દ્વાત્રિશિકાઓની ૧ બેડશિકા થાય છે. એ પોશિકાઓની ૧ અષ્ટભાગિકા થાય છે બે અષ્ટભાગિકાઓની ૧ ચતુભંગ થાય છે. બે ચતુર્ભાગિકાઓની ૧ અદ્ધમાન થાય છે બે અર્ધમાनामानी १ भाना थाय छे. (एएणं रसमाणप्पमाणेण वारकघडककरककलसियगागरियदिइयकरोडियकुंडिअसंसियाणं रसाणं रसमाणप्पमाणनिवि. चिलक्खणं भवइ-से त रसमाणे-से तमाणे) भा २समान प्रमाथी या .