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VER . . . . . .... ... ... अनुयोगद्वारसूत्रे अथ व्यन्तरादीनामौदारिकादिशरीराणि दर्शयति
मूलम्-वाणमंतराणं ओरालियसरीरा जहा नेरइयाणं। वाणमंतराणं भंते! केवइया वेउवियसरीरा पण्णता ? गोयमा!
उबियसरीरा दुविहा पणत्ता, तं जहा-बद्धेल्या य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखिज्जाहिं यदि होते हैं तो जघन्य से ये एक, दो अथवा तीन तक होते हैं। (उक्कोसेणं सहस्सपुहुत्तं) और उत्कृष्ट से सहपृथक्स्व तक हो सकते हैं। (मुक्केल्लया जहा ओहिया) मुक्त आहारक शरीर लघुतर अनंत भेदवाले होते हैं । (तेथगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव ओरालिया तहा भाणियवा) मनुष्यों के तैजस कार्मक शरीरों का प्रमाण इनके औदारिक शरीरों के प्रमाण के जैसा जानना चाहिये।
भावार्थ--इस मंत्र द्वारा सूत्रकारने मनुष्यों के पांचों शरीरों का प्रमाण कहा है। यद्यपि एक मनुष्य को एक साथ चार शरीर तक ही हो सकते हैं-पांच शरीर एक साथ नहीं होते। परन्तु यहां जो पांच शरीरों का होना कहा है और उनका प्रमाण स्पष्ट किया गया है सो इसका तात्पर्य यह है कि नाना मनुष्यों की अपेक्षा मनुष्यों के एक साथ पांच शरीर तक हो सकते हैं ।। सू० २१६ ॥ र डाय छ त यन्यथा । से, ये अथवा न डाय . ( उक्कोसेणं सहस्सपुहुत्त) अ टन अपेक्षा सस पृथप सुधा छ ? छे. (मुक्केल्लया जहा ओहिया) भुत आडा२४ शरी। धुत२ मनात हाणा डाय छ. . (तेयगकम्मसरीरा जहा एएसिं चेव ओरालिया तहा भाणियव्या) મનુષ્યોના તૈજસ કામક શરીરનું પ્રમાણ એમના દારિક શરીરના પ્રમાना म पु नये.
ભાવાર્થ-આ સૂત્ર વડે સૂત્રકારે મનુષ્યના પંચ શરીરનું પ્રમાણ કહેલું છે. જે કે એક મનુષ્યના એકી સાથે ચાર શરીજ થઈ શકે છે. પાંચ શરીર એકી સાથે હતાં નથી. પરંતુ અહીં જે પાંચ શરીરના અસ્તિત્વ વિષે કહેલું છે, અને તેમનું પ્રમાણુ સ્પષ્ટ કરવામાં આવ્યું છે, તે તેનું તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે અનેક મનુષ્યની અક્ષા મનુષ્પના એકી સાથે પાંચ શરીર સુધી થઈ શકે છે. સૂe ૨૧૬