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अनुयोगबारसूत्रे बोध्यम् । प्रकृतमुपसंहरनाह स एप क्षेत्रसमवतार इति । अथ कालसमवतारं निरूपयति । तत्र-अथ कोऽसौ कालसमवतार.? इति शिष्यप्रश्नः। उत्तरयतिकालसमवतार:-कलयन्ति-समयादिरूपेण परिच्छिन्दन्ति ज्ञानिनो यं स काला, तस्य समवतारः । स च आत्मसमवतारः तदुभयसमवतारश्चेति द्विविधः । तत्र-समय आत्मसमवतारेण आत्मभावे समवतरति, तदुभयसमवतारेण स्वापेक्षया बृहत्पमा. णायामावलिकायां समवतरति आत्मभावे च । एवम् आवलिकादिषु प्रत्येकम् (तिरियलोए आयसमोयरे णं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं लोए समोयरइ आयभावे य) इसी प्रकार तिर्यक् लोक भी आत्मसमवतार की अपेक्षा आत्मभाव में रहता है और तदुभय समवतार की अपेक्षा लोक में भी रहता है एवं आत्मभाव में भी रहता है। (से सं खेत्तसमोयारे) इस प्रकार यह क्षेत्र समवतार है। (से कि तं कालसमोयारे १) हे भदन्त ! वह पूर्व प्रक्रान्त काल समवतार क्या है ?
उत्तर-(कालसमोयारे) ज्ञानी जन जिसे समय आदि रूप से जानते हैं-उसका नाम काल है। इस काल जो समवतार है, वह कालसमवतार है वह काल समवतार (दुविहे पण्णत्त) दो प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ है।(तं जहा) जैसे (आयसमोयारे य तदुभयासमोयारे य) एक आत्मसमवतार
और दूसरातदुभय समवतार । (समए आयसमोपारेणं आयभावे समो. यरई) आत्म समवतार की अपेक्षा समय आत्मभाव में रहता है। (तदुभय समोयारेणं आवलियाए समोयरह, आयमावे य) तदुभय समवतार 'तिरियलोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ, तदुभयसमोयारेणं लोए समोयर आयभावे य) 0 प्रमाणे तिय ४५) सामसभतारनी मपेक्षा આત્મભાવમાં રહે છે અને તદુભય સમવતાની અપેક્ષાએ લેકમાં પણ રહે छ. तेभा याममा ५४ २ छ. (से से खेतसमोयारे)मा प्रमाण मात्र समवतार छे. (से कितं कालसमायारे१) महत! पूर्व પ્રકાન્ત કાલ સમવતાર શું છે?
61२--(कालसमोयारे) ज्ञानी । २२ समय पोरेन। ३५i and છે તેનું નામ કાળ છે. આ કાળને જે સમવતાર છે. તે કાળ સમવતાર છે. asm 'सभक्ता२ (दुविहे पण्णत्ते) में प्रकार प्रज्ञात येत छे. (तं जहा)
भ (आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य) मे मामसता भने द्वितीय ago समवतार (समए आयसमोयारे णं आयभावे समायरइ) आत्मसमवताना mपेक्षा समय मसभा २७ छे. (तदुभयसमोयारेणे आवलियाए समायरह,