Book Title: Anuyogdwar Sutra Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २४९ सूत्रस्पर्शकनिर्युक्त्यनुगमनिरूपणम् ८६
कमभिन्नवयण भिन्ने, विभत्तिभिन्नं च लिंगभिन्नं च । अणमिहियमपयमेव य, सभावहीणं वहियं च ॥२॥ कालेजतिच्छचिदोसो, समयविरुद्धं च वयणमित्तं च। अस्थावत्ती दोसो, हवइ य असमासदोसो य ॥३॥ उवमारूवगदोसो, निसपयस्थ संधिदोसो य।
एए य सुत्तदोसा, बत्तीसा हुति नायव्वा ॥४॥ छाया-अलीकमुपघातजनकं निरर्थकमपार्थकं छलं दुहिलम् ।
निस्सारमधिकमूनं पुनरुतं व्याहतपयुक्तम् ॥१॥ क्रमभिनवचनभिन्मे विभक्तिभिन्नं च लिङ्गाभिन्नं च । अनभिहितमपदमेव च स्वभावहीनं व्यवहितं च ॥२॥ कालयतिच्छविदोष: समयविरुद्धं च वचनमात्रं च । अर्थापत्तिदोषो भवति चासमासदोषश्च ॥३॥ उपमारूपकदोषो निर्देशपदार्थसन्धिदोषश्च ।
एते तु सूत्रदोषा द्वात्रिंशद् भवन्ति ज्ञातव्याः ॥४॥इति॥ इस प्रकार किया गया है-(१) अलीकदोष, (२) उपघातजनक दोष, (३) निरर्थक दोष, (४) अपार्थक दोष, (५) उलदोष, (६) दुहिलदोष, (७) निस्सारदोष, (८) अधिकदोष (९) ऊनदोष, (१०) पुनरुक्तदोष, (११) व्याहतदोष (१२) अयुक्तदोष, (१३) क्रमभिन्नदोष. (१४) वचनभिन्नदोष (१५) विभक्तिभिन्नदोष, (१६) लिङ्गभिन्नदोष, (१७) अनभिः हितदोष, (१८) अपददोष, (१९) स्वभावहीनदोष, (२०) व्यवहितदोष, (२१) कालदोष, (२२) यतिदोष, (२३) छविदोष, (२४) समयविरुद्धदोष, (२५) वचनमात्रदोष, (२६) अर्थापत्तिदोष. (२७) असमासदोष, (२८) उपमादोष, (२९) रूपनदोष, (३०) निदेशदोष (३१) पदार्थदोष (३२) ગાથાઓમાં આ પ્રમાણે કરવામાં આવે છે. (૧) અલીક દોષ, (૨) ઉપઘાત
न होष, (3) नि२४ होष, (४) अपाय होष, (५) छस होष, (6) दुडितष, (७) निस्सा२ घोष, (८) अधि: दोष, (८) न होष, (१०) पुनत दोष, (११) व्याहत होष. (१२) अयुत होष, (१३) भनिन्न होष, (१४) पयन लिन्न होष, (१५) विमति भिन्न होष, (१६) लिंग भिन्न होष, (१७) मनलिखित होष, (१८) अ५४ होष, (१६) स्वमाडीन होष, (२०) व्यवडित डोष, (२१) aahष, (२२) यति होष, (२३) विष, (२४) समय बिष, (२५) क्यन मात्र होष, (२६) मर्यापत्ति होष, (२७) मसमास होष, (२८) ०५मा हौष, (२६) ३५४ होष, (20) निश

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