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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २२१ अनुमानप्रमाणनिरूपणम् गाथा
"परिकरबन्धनेन भटं, जानीयात् महिलां निवसनेन ।
सिक्थेन द्रोणपाकं, कविं च एकया गाथया" ॥१॥ तदेतत् अवयवेन । अथ किं तत् आश्रयेण ?, आश्रयेण-अग्निं धूमेन, सलिलं बलाकया, वृष्टिम् अभ्रविकारेण, कुळपुत्रं शीलसमाचारेण । तदेतत् आश्रयेण । तदेतत् शेषवत् ॥९० २२१॥ मयूर को, खुर से घोडा को, नख से व्याघ्र को, पालाय से चमरी को लाशूल-पूंछ से बन्दर को, द्विपद से मनुष्य आदि को, चतुष्पद से गाय आदि को, बहुपद से गोमिकादि को, केशरसटा से सिंह को, ककुद (खंदोल) से बैल को, वलय युक्त बाहु से महिला को अनुमित करना यह अवयव लिङ्ग जन्य शेषवत् अनुमान है। (गाहा) यहाँ-ऐसी गाथा है कि-'पडियरबंधेणं इत्यादि' इस गाथा का अर्थ पहिले लिखा जा चुका है। उसी के अनुसार यहां उसका भावार्थ लगा लेना चाहिये । (से तं अवयवेणं) इस प्रकार यह अवयवरूप लिङ्ग जन्यशेषवत् अनुमान का स्वरूप हैं। (से कि तं आसएणं?) हे भदन्त ! आश्रयरूप लिङ्ग से आश्रयी का जो अनुमान होता है, वह क्या है ? (आसएणं) आश्रयरूवलिङ्ग से जो आश्रयी का अनुमान होता है वह इस प्रकार से है-(अरिंग धूमेणं, सलिलं घलागेणं, वुद्धि अभविकारेणं कुलपुत्तं सीलसमायारेण से तं आसएणं से तं सेसव) धूम से अग्नि का-बकपंक्ति से पानी का, मेघविकार વરાહનું, પીંછાથી મયૂરનું ખરીઓથી ઘડાનું નખથી વ્યાઘનું બાલાશથી ચમરીનું, લાંગૂલ-પૂછથી વાંદરાનું, દ્વિપદથી મનુષ્ય આદિનું, ચતુષ્પદથી ગામ આદિનું બહુપદથી ગેમિકાદિનું, કેશર સટાથી સિંહનું કુદથી બળદનું, વલયયુકત બાહથી સ્ત્રીનું અનુમાન કરવું તે અવયવ લિંગજન્ય શેષવ. અણુभान छ. (गाहा) महीमेवी गाथा छ । 'पडियरबंधेणं इत्यादि' भाया। અર્થ પહેલાં સ્પષ્ટ કરવામાં આવ્યો છે. તે પ્રમાણે જ અહી ભાવાર્થ सभ दे नी (से ते अवयवेणं) मा प्रमाणे मा अपय१३५ अन्य षवत् अनुमाननु २१३५ छे. (से कि त आसएण)
3 1 माय३५ गयी साश्रयीन अनुमान उप छ, त (आखएण) मा . ३५निधी २ माश्रयीनु मनुमान, पाय छे, ते मा प्रभारी छे. (अग्नि धूमेणं, सलिलं बलागेणं बुढेि अभविकारेणं कुलपुत्त' सीलममायारेण से ' आसएणं से-त' सेसर्व) ५माथी मGिAj, waist (861) थी पास