________________
अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २२१ अनुमानप्रमाणनिरूपणम् तन्तवः पटस्थ, कारणं, न पटस्तन्तुकारणं, वीरणा कटस्य कारणं, न कटो वीरमा कारणं, मृत्पिण्डो घटस्य कारणं, न घटो मृत्पिण्डकारणं । तदेतत् कारणेन । अथ किं तद् गुणेन?, गुणेन-सुवर्ण निकषेण, पुष्पं गन्धेन, लवणं रसेन, ढकालना सुनकर बैल का अनुमान करना, मयूर की वाणी सुनकर मयूर का अनुमान करना, हिनहिनाना सुनकर घोडे का अनुमान करना, हाथी का चिघाढनो सुनकर या मार्ग में पतित उसकी बीट को देखकर हाथो का अनुमान करना, घनघनायित से रथ का अनुमान करना । (से तं कज्जेणं) यह कार्य लिङ्ग से उत्पन्न हुआ शेषवत् अनुमान है। (से कि तं कारणेणं) हे भदन्त ! कारणरूप लिङ्ग से उत्पन्न हुमा शेषवत् अनुमान क्या है ? (कारणेणं) कारण रूप लिङ्ग से उत्पन्न हुआ शेषवत् अनुमान इस प्रकार है-(कारणेणं तंतवो पडस्स कारण ण पडो तंतु कारण बीरणा कडस्स कारणं, ण कडो वीरणा कारण मि. स्पिडो घडतं कारणं, ण घडो मिस्पिड कारणं-से तं कारणेणं) तंतु पट (कपड़ा) के कारण होते हैं, पट तंतु का कारण नहीं होता है, वीरणा-तृणविशेष-कट-चटाई के कारण होते हैं-चटाई बीरणा की कारण नहीं होती है। मृपिंड-मिट्टी-घट का कारण होता है-घट मृपिंड का कारण नहीं होता । यह कारणलिंग जन्य शेषवत् अनु. मान है । (से कि तं गुणेणे) हे भदन्त | गुणलिंग जन्य शेषवत् अनुભેરીનું અનુમાન કરવું, બળદના શબ્દને સાંભળીને બળદનું અનુમાન કરવું. મયૂરનીવાણી સાંભળીને મયૂરનું અનુમાન કરવું, હણહણવું સાંભળીને ઘડાનું અનુમાન કરવું, હાથીની ચીસ સાંભળીને અથવા તે માર્ગમાં પડેલ તેની લાદ DUR Kथानु मनुमान ४२, धनवनायित-शम साजान २थनु भनुमानानु. (से त कज्जेणं) मा यतिथी 64 ये शेषवत् अनुमान छ. से कित 'कारणे णं) D REG! २५३५लिथी ५न 42 शेषपत अनुभाशु (कारणे णं) ४१२९५३५ बिगथी Grपन थये षवत् अनुमान को प्रभाव छ. (कारणेणं तंतवो पड़स्त्र कारणं ण पडो तंतु कारण वीरणा कडस्स कारण, जडी वीरणा कारणं मिपि यो घडस्स कारणं, ण घडो मिप्पिडकारण-से ते कारणेणं)
तुम ५८-(a)ना ॥२॥ डाय छे, ५८..तुनु र नहिं वीण तृणे વિશેષ-કટ (સાદડી)ના કારણે હોય છે, સાદડી વરણાનું કારણ હોતું નથી. મૃત્ પિંડ-માટી-ઘરનું કારણ દેય છે, ઘટ મુપિંડનું કારણ નથી. આ १२ य त् अनुमान छे. (से कि त गुणे) 3.NET
अ०६३