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अनुयोगद्वारस्त्रे त्वात् । तत्र-वेष्टकाः छन्दोविशेषरूपाः । नियुक्तया निक्षेप नियुक्तय उपो. द्घातनिर्युक्तयः सूत्रस्पर्शनियुक्तयश्चेति त्रिविधाः । अनुयोगद्वाराणि-व्याख्योपायभूतानि सस्पदमरूपणतादीनि उपक्रमादीनि चा। उद्देशका अध्ययनांश विशेषः । अध्ययनम-शास्त्रांशविशेषः। श्रुतस्कन्ध = अध्ययनसमूहात्मकः शास्त्रांशः अङ्गम्-आचाराङ्गादिकम् । इत्थं कालिकश्रुतपरिमाणसंख्या निरूपितेति सूचयितुमाह-'सैषा कालिकश्रुतपरिमाणसंख्येति । तथा-दृष्टिबाद श्रुनपरिमाणसंख्याऽपि पर्यवसंख्या यावदनुयोगद्वारसंख्या पाभृतसंख्या प्राभृतिकासंख्या होते हैं । वेष्टक नाम छंदविशेष का है। निक्षेप नियुक्तिउपोद्घात. नियुक्ति, और सूत्रस्पर्शनियुक्ति के भेद से नियुक्तियां तीन प्रकार की होती हैं । व्याख्या के उपायभूत जो सस्पदप्ररूपणता आदि हैं वे, अथवा जो उपक्रम आदि है, वे 'अनुयोगहार' है । अध्ययनों के अंश विशेष का नाम उद्देशक है' शास्त्र के अंशविशेष का नाम अध्ययन' है। अध्य. यनों के समूहरूप शस्त्रांश का नाम 'श्रुतस्कन्ध' है। आचाराङ्गा आदि आगमों का नाम 'अंग' है। इस प्रकार से 'यह. कालिक श्रुतपरिमाणसंख्या क्या है ? यह समझाया है। अथ दृष्टिवाद परिमाणसंख्या क्या हैं? यह कहते है-(से किं तं दिट्टिवायपरिमाण संखा ?) हे भदन्त ! दृष्टिवादपरिमाणसंख्या क्या है ?
उतर-दिट्टिवायतुप परिमाणसंख। अणेविहा पण्णत्ता) दृष्टि वादश्रुन परिमाणसंख्या अनेक प्रकार की कही गई है- (तं जहा) जैसे (पज्जवसंखा जाव अणुओगदारसंखा, पाहुडसंखा पाहुडियासंखा, पाहुનિર્યુક્તિ ઉપદ્રવાત નિર્યુકિત અને સૂત્રસ્પર્શ નિયુકિતના ભેદથી નિયુકિતના ત્રણ પ્રકારે છે. વ્યાખ્યાના ઉપાયભૂત જે સત્પદ પ્રરૂપણુતા વગેરે છે. તે અથવા તે જ ઉપક્રમ વગેરે છે તે અનુગદ્વાર છે. અધ્યયનના અંશ विशेषतुं नाम 'देश' छ. शासना अशविशेषनु ना. 'अध्ययन' छे. सध्य. યુનેના સમૂહુરૂપ શાસ્ત્રાંશનું નામ શ્રતકધ' છે. આચારાંગ વગેરે આગમનું નામ “અંગ છે. આ રીતે કાલિશ્રુત સંખ્યા શું છે? તે સમજાવવામાં आयु छ. रिपाई परिभाय या शु ? विष ४ छे. (से कि व विहिबायपरिमाणसखा १) त पाई परिभाष्य स ज्या शु. १
Gत्तर--(दिट्टिवायसुयपरिमाणमखा अणेगविहा पण्णत्ता १) पाह श्रुत परिमाणुस-या २नी अवामा मापी छे. (त जहा) म (पज्जवसंखा जान अणुयोगदारसखा, पाहुडसना, पाहुडियासखा पाहुडपाहुडिया
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