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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०३ समयादिस्वरूपनिरूपणम्
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सप्तसप्ततिसंरूपकैर्लवैरेको मुहूर्ती भवति । सम्पति मुहूर्त्तः कियदुच्छ्रवासनिः श्वासात्नको भावि तदाह-' विष्गि सहस्सा ' इत्यादि - त्रीणि सहस्राणि सप्त शतानि त्रिसप्ततिश्व उच्छ्वासनिःश्वासा एको मुहूर्ती भणितः सर्वैरनन्तज्ञानिभि स्तीर्थकरगणधरैः । अयं भावः- एकस्मिन् स्तोके सप्त उच्छ्रवासा निःश्वासा भवन्ति ।
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एक मुहूर्त्त होता है। (तिष्णि सहस्सा सत्तय सयाई तेहन्तरिं च ऊसासा । - एस मुहुसो भणिओ सव्वेहिं अनंतनाणीहिं) तीन हजार सात सौ तिहत्तर उच्छ्वासों का एक मुहूर्त होता है। ऐसा केवलियों का कथन हैं । (एएणं मुहत्तपमाजेर्ण तीस मुहुत्ता अहोरत, पण्णरस अहोर ता पक्खा) इस मुहूर्त्त प्रमाण से ३० मुहूतों का एक दिन रात होता है । १५ अहोरात्र का एक पक्ष होता है । (दो पक्खमासो) दा पक्ष का एक मास होता है । (दो मासा उऊ ?) दो मास की एक ऋतु होती है । (तिष्णि उऊ अयनं) तीन ऋतुओं का एक अयन होता है । (दोः अग्रणाई संवच्छ रे) दो अपनों का संवत्सर होता है । (पंच सवच्छराई जुगे) पांच संवत्सरो का एक युग होता है। (वीस जुगाई वास संयं). बीस युगों का एक सौ वर्ष होता है। (दसवाससयाई वाससहरसं १० सौ वर्षों का एक हजार वर्ष होता है । ( सयं वाससहरसा जं वाससय सहस्साइं ) १०० हजार वर्षों का एक लाख वर्ष होता है । (चोरासी वास सयसहस्साइं से एगे पुण्वंगे) चौरासी लाख वर्षो का एक पूर्वाङ्ग होता है । (चोरासीइं पु०बंगसय सहस्साईं से एगे पुब्वे)
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सहस्सा सत्तययाई तेहचरिं च ऊसासा । एस मुद्दत्तो भणिओ सव्वेहिं अनंत नाणीहिं) ३७७३ २छ्रवासी थे भुहूर्त थाय छे मेवु' वलियोनु थन: छे. (एएण मुहुत्तपमाणेण तीस मुहुत्ता अहोरतं, पण्णरस अहोरता पक्खो ) આ મુહૂત પ્રમાણથી ૩૦ મુહૂતૅાંના એક દિવસ તેમજ રાત્રિ થાય છે ૧૫ मात्रा मे पक्ष थाय छे. (दो पक्खा मासो) मे पक्षनेो भेट भास थाय छे. (दो मासा उऊ) मे भासनी ऋतु थाय छे. (तिण्णि उऊ अयण) ત્રણ ઋતુઓનુ એક અયન थाय छे. (दो अयणाई संवच्छरे ) मे मयनाना संवत्सर थाय छे. (पंच संत्रच्छराई जुगे) पांथ सवत्सरौना थोड युग थाष छे. (वीसं जुगाई वासयं) २० युगीना मेड सेो वर्ष थाय छे. (दस वासस याई बासस इस्सं) १० सेो वर्षोना मेड इन्नर वर्षो थाय छे. (चोराखी हूं बास सय सहरस इं से एगे पुग्वंगे ) ८४ साथ वर्षातुं मे यूग थाय छे... (चोरासी पुव्वं गायसहरसाई से एगे पुव्बंगे) ८४ साथ पूर्वागनु भेड पूर्व