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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३३५ मानानां भदन्त ! देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्येन साविरेकम् अष्टभागपल्योपमम् , उत्कर्षेण चतुर्भागपल्योपमम् । ताराविमानानां भदन्त ! देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः पज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन अष्टभाग पल्योपमम् , उत्कर्षेण सातिरेकम् अष्टभागपल्पोपमम् । वैमानिकानां भदन्त ! कही गई है और उत्कृष्ट से कुछ अधिक पल्य के चतुर्थ भाग प्रमाण कही गई है। (ताराविमाणाणां भंते! देवाणे केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदंत! ताराओं के विमानों के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? (गोयमा ! जहण्णेणं साहरेगं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं चउभागपलिओचम) हे गौतम ! ताराओं के विमानों के देवों की आयु जघन्य से तो कुछ अधिक पल्य के आठवें भागप्रमाण कही गई है और उत्कृष्ट से पल्य के चौथे भागप्रमोण कही गई है। (तारा विमाणाणं भंते ! देवीणं केवयं कालं ठिई पण्णता ?) ताराओं के विमानों की देवियों की हे अदन्त ! कितनी आयु कही गई है ? (गोयमा । जहणणं अट्ठभागपलि भोथमं उकोसेणं साइरेणं अट्ठभागपलिओचम) गौतम ! ताराओं के विमानो की देवियों की ओयु जघन्य से तो पल्य के आठवें भागप्रमाण कही गई है और उत्कृष्ट से कुछ अधिक पल्य के आठवें भागप्रमाण कही गई है। (वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केवयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदन्त ! वैमानिक देवों की
भाव्यु छे. (ताराविमाणाणं भंते ! देवाणं केवइय कालं ठिई पण्णत्ता ?) . ભત તારાઓના વિમાનના દેવની સ્થિતિ કેટલા કાલની કહેવામાં આવી छ। (गोयमा। जहण्णेणं साइरेगं अट्ठभागपलिओवम', उक्कोसेण चउभागपलिओचम) 3 गौतम! रामान विमानान वानुमायु धन्यना અપેક્ષાએ તો કંઈક વધારે પલ્યના આઠમા ભાગ પ્રમાણુ કહેવામાં આવ્યું है. 2 Gथी ५६यना याथा मा प्रभार ४ामा मा०यु छ. (तारा विमाणाण भंते ! देवी केवइय कालं ठिई पण्णत्ता!) ताशमान विमानानी विमानु है ! आयु अामा मा०युः छ ? (गोयमा ! जहण्णेण' अदभागपलिओवम उक्कोसेण साइरेग अटुभागपलिओवम) गौतम! ताराએના વિમાનની દેવિઓનું આયુ જઘન્યની અપેક્ષાએ તે પલ્યના આઠમા ભાગ પ્રમાણુ કહેવામાં આવ્યું છે અને ઉત્કૃષ્ટથી કંઈક વધારે પલ્પના આઠમા मास प्रमाण अपामा माथु छे. (वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केवश्यं कालं लिई पण्णता) = Rs-a | वैमानिस वा मा ४४ उपमा मान्य छ।