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अनुयोगवद्विका टीका सूत्र२१४ पृथ्वीकायिकादीनामौदारिकादिशरीर नि० ४२७ कायिकानां तथाऽकायिकानां तैजसकायिकानां च सर्वशरीराणि भणितव्यानि । वायुकायिकानां भदन्त । क्रियन्ति औदारिकशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! औदारिकशरीराणि द्विविधानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - बद्धानि च मुक्तानि च । यथापृथिवीकायिकानाम् औदारिकशरीराणि तथा भणितव्यानि । वायुकायिकानां
सरीरा तहा भाणिव्वा) तैजस कार्मण शरीर जैसे इनके औदारिक शरीर होते हैं, उसी प्रकार से जानना चाहिये । अर्थात् बद्ध तैजंस एवं कार्मण, बद्ध - औदारिक शरीर के जैसा यहां असंख्यात होते हैं और मुक्त तैजस कार्मण मुक्त औदारिक शरीर के जैसा यहां अनन्त होते हैं । (जहा पुढविकायाणं तहा आउकाइयाणं ते उकाइयाण य सव्बसरीरा. भाणिपव्वा) जिस प्रकार से पृथिवीकायिक जीवों के ये पांच शरीर कहे गये हैं उसी विधि के अनुसार अकाधिक जीवों और तैजस्कोयिक जीवों में भी इन पांच शरीरों को जानना चाहिये। (वाउकाइयांणं भंते ! केवढ्या ओरालियसरीरा पण्णत्ता ?) हे भदन्त ! वायुकाधिक जीवों के कितने औदारिक शरीर कहे गये हैं ? (गोयना । ओरालियसरीरा दुबिहा पण्णत्ता) हे गौतम! औदारिक शरीर दो प्रकार के कहे गये हैं- ( तं जहा ) जैसे ( बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य) एक बद्ध औदारिकशरीर और दूसरे मुक्त औदारिक शरीर । सो इन वायुकायिक जीवों में ( जहा पुढविकाइयाणं ओराखियसरीरा पण्णत्ता तहा भाणियव्या) पृथिवीकाधिक जीवों के जैसा औदारिक
लियम्ररीरा तहा भाणियव्वा) तैंस अर्मयु शरीश प्रेम शेभने गौडारिश શરીર હોય છે. તેમજ જાણવુ જોઈએ. એટલે કે બદ્ધ તેજસ અને કાણુ, ખદ્ધ ઔદારિક શરીરની જેમ અડ્ડી' અસખ્યાત હેાય છે. અને મુંકત તેજસ કામ શુ भुक्त मोहारि शरीरनी प्रेम यहीं अनंत होय छे. (जहा पुढविकाइयाणं तहा आउकाइयाणं वेउकाइयाण य सरीरा भाणिया) भ પૃથિવીકાયિક જીવાના આ પાંચ શરીરે કહેવામાં આવ્યાં છે તેમજ અસૂકાયિક જીવા અને तेस्माथि वामां शुभा यांग शरीराने लावां लेह मे. (वाउकाइया णं भंते ! केवइया ओरालि यसरीरा पण्णत्ता १) डे लहांत ! वायुभाषि लवाना सां मोहारि शीरेश उडेवामां मायां छे ? (गोयमा ! ओरालिय खरीरा दुबिहा पण्णत्ता) ३ गौतम | मोहारि शरीश में अहारनां मुडेवामां भाव्यां थे. (तंजा) प्रेम हे (बद्वेल्लया य मुक्केल्ल्या य) शेड द्ध मोहाકિ શરીર અને ખીજું સુકત ઔદારિક શરીર તા આ વાયુકાષિક છવામાં