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अनुयोगन्द्रिका टीका सूत्र २१५ द्वीन्द्रियादीनामौदारिकादिशरीरनि० ४४३ याभिरुत्सपिण्यवसर्पिणीभिः कालतः । क्षेत्रतः अङ्गुलपतरस्य आवलिकायाः, असंख्येयभागमतिभागेन । मुक्तानि यथा औधिकानि औदारिकशरीराणि तथाभणितव्यानि । वैक्रियाहारकशरीराणि बद्धानि न सन्ति । मुक्तानि यथा औधि. कानि औदारिकशरीराणि तथा मणितव्यानि । तैजसकामकशरीराणि यथा एतेषामेव औदारिकशरीराणि तथा भणितव्यानि । यथा द्वीन्द्रियाणां तथा त्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियागामवि भगिनव्यानि । पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानामपि औदारिकही है । इनमें कोई भेद नहीं है । (
मुल्लया जहा ओहिया ओरालिय सरीरा तहा भाणियन्वा) द्वीन्द्रियजीवों के मुक्त औदारिक शरीर सामान्य मुक्त औदारिक शरीरों के जैसा अनन्त जानना चाहिये। (वेउब्वियआहारगसरीरा बल्लिया णत्थि) द्वीन्द्रियजीवों के पद्ध वैक्रिय शरीर, और बद्ध आहारक शरीर नहीं होते हैं। (मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियवा) मुक्त वैक्रियशरीरों का एवं मुक्त आहारक शरीरों का प्रमाण मुक्त औदारिक शरीरों के प्रमाण के जैसा यहां अनंत जानाना चाहिये। (तेयगकम्मयसरीरा जहा एएसिं चेव ओरालियसरीरा तहा भाणियध्वा) तेजस और कार्मण शरीर इनके औदारिक शरीरों के जैसा जानने चाहिये । (जहा वेई. दियाणं तहा तेइंदियचउरिदियाण वि भाणियवा) जिस प्रकार यह दीन्द्रियजीवों के शरीरों की प्ररूपणा की गई है उसी प्रकार से त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के शरीरों की भी प्ररूपणा समझनी चाहिये। पंचे दियतिरिक्खजोइयाण विओरालियसरीरा एवं चेव भाणि. नथी. (मुक्केल्लया जहा ओहिया ओगलिय सरीरा तहा भाणियव्या) बान्द्रय જીવન મુક્ત ઔદ્યારિક શરીર સામાન્ય મુકત ઔદારિક શરીરની જેમ मनन्त वा नये. (वेबियाहारगसरीरा बद्धेल्लया गस्थि) allgi
ना म य शरीर मन पर भाडा२४ शरी। उता नथी. (मुक्के. ल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियवा) भुत वय शरीशनु અને મુકત આહારક શરીરનું પ્રમાણ ઔદારિક શરીરના પ્રમાણની જેમ सही अनत ngg . (वेयगकम्मयसरीरा जहा एएसि चेव ओरा. लियसरीरा तहा भाणियवा) मेमन तेस भने म शरी३। मोहारि शरीरानी २ गया नये. (जहा बेइंदियाणं तहा वेइंदियचरिदियाण वि भाणियब्बा) २म मीन्द्रय खाना शरीशनी ३५ ४२पामा भाव છે તેમજ ત્રીન્દ્રિય અને ચતુરિન્દ્રિય જીના શરીરની પ્રરૂપણા સમજવી