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अनुयोगद्वारी प्रकट करते हैं-(मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियब्वा) मुक्तवैक्रियशरीरों का प्रमाण सामान्य औदारिकशरीरों के प्रमाण बराबर हैं (आहारगसरीरा जहा वेइंदियाणं, तेयगकम्मयसरीरा जहा ओरालिया) इनके आहारक शरीरों का प्रमाण दीन्द्रिय जीवों के आहारक शरीरों के जैसा है। तैजस और कार्मण शरीरों का प्रमाण औदारिक शरीरों के जैसा है। यहां जो 'जहा वेहंदियाणं तहा तेइंदियचउरिदियाण विभाणियन्या' ऐसा कथन किया है वह असंख्येयता सामान्य को लेकर किया गया जानना चाहिये, संख्या को लेकर किया गया नहीं जानना चाहिये । क्योंकि इन में परस्पर में संख्या की समानता नहीं है। उक्तंच करके सोही कहा है। (एएसिंच णं भंते !' इत्यादि-हे भदन्त ! इन एकेन्द्रिय, बीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, और पंचेन्द्रिय जीवों में कौन जीव किन से अल्प हैं ? कौन किनसे बहुत हैं ? कौन किनसे विशेषाधिक हैं ?
उत्सर-हे गौतम ! सथ से कम पंचेन्द्रिय जीव हैं। इनसे कुछ अधिक चतुरिन्द्रिय जीव हैं। चतुरिन्द्रिय जीवों की अपेक्षा त्रीन्द्रिय जीव कुछ अधिक हैं। इनकी अपेक्षा हीन्द्रिय जीव
छ १ मा पात सूत्र॥२ घट ४३ छ. (मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरोलिया तहा भाणियन्वा) भुत यि शरीरानुप्रमा सामान्य मोह शरीरेना प्रमाण सरासर छे. (आहारगसरीरा जहा बेइंदियाणं, तेयगकम्मय सरीरा जहा ओरालिया) मेमना माडा२४ शरीक्षानु' प्रमाण दीन्द्रिय लवाना આહારક શરીરના પ્રમાણુ જેવું છે. તેજસ અને કાર્માણ શરીરનું પ્રમાણ महारशराना प्रभा २ छे. सही २ "जहा बेइंदियाणं तहा इंदियपरिदियाण वि भाणियव्वा) मा ४थन छ, त म भ्येयता सामान्य सपने કહેવામાં આવ્યું છે. સંખ્યાના આધારે કરવામાં આવ્યું નથી તેમ જાણવું જોઈએ કેમકે આમાં પરસ્પરની સંખ્યાની સલામતી નથી. ઉક્તચ કહીને તેજ વાત पष्ट ४२वामा भावी छ. (एएसिं च णं भंते ! इत्यादि) | ॥ એકેન્દ્રિય, હીન્દ્રિય, ત્રીન્દ્રિય, ચતુરિન્દ્રિય અને પંચેન્દ્રિય જીવોમાં કો જીવ કયા જીવ કરતાં અલ્પ છે ? કયે કેના કરતાં વધારે છે? કયે કેના કરતાં વિશેષાધિક છે?
ઉત્તર-હે ગૌતમ! સૌથી અલપ પંચેન્દ્રિય જીવે છે. એમના કરતાં કંઈક વધારે ચતુરિન્દ્રિય જીવે છે. ચતુરિન્દ્રિય જીની અપેક્ષા ત્રીન્દ્રિય