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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २१० औदारिकादिशरीरनिरूपणम् स्पतिकायिकानामपि एतान्येव त्रीणि शरीराणि भणितव्यानि । वायुकायि कानां भइन्त ! कति शरीराणि मतानि ? चत्वारि शरीराणि प्रज्ञप्तानि, वधयाऔदारिकं वैक्रिय तैजसं कार्मकम् । द्वीन्द्रियत्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियाणां भदन्त ! कति शरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! त्रीणि शरीराणि प्रज्ञप्लानि, वद्यथा-औदारिक तैनसं कायकम् । पञ्चेन्द्रियतियग्योनिकानाम् यथा वायुकारिकानाम् । मनुष्याणां:
भदन्त ! कति शरीराणि प्रज्ञप्यानि ? गौतम ! पञ्चशरीराणि प्रज्ञानि, तद्यथाঅস্কায়াবি দু অৰ লিখি ক্লহী অফিথা) মুন্ত্রী স্বাৰ
से अपक्राधिक, तेजस्काशिक और वनस्पतिकायिक जीवों के भी ये ही तीन शरीर जानना चाहिये। (बाउकाइयाणं भंते ! कइ सरीर पणत्ता): हे भदन्त ! वायुकायिक जीवों के कितने शारीर होते हैं ? (गोयमा!) ই গীন ! (স্বৰাৰ কষ্ট হৃদ্যগ্রন্থঃ) স্বাস্তুহ্মাঙ্কি ভীষ্মী ক্ল ব্যাক স্থাৰীৰ होते हैं । (तं जहा) वे ये हैं-(ओशलिए, वेउन्विए, तेथए, कम्मए)
औदारिक, वैक्रिया, तैजस और कार्मक । (वेइंदियतेहंदियंचरिदिन यार्ण भंते ! कह सरीरा पण्णत्ता !) हे भन्दत्व ! दो इन्द्रियवालों के, तीन इन्द्रियवालों और चार इन्द्रियक्षाले जीवों के कितने शारीर होते हैं? (गोयमा !) हे गौत्तम ! (तमओ सहीरा पण्णता) तीम शरीर होते हैं(तं जहा) वे ये हैं-(भोशलिए, लेयए कम्मए) औदारिक, लैजल और कार्मक । (पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जहा वाउकाइयाण) पंचेनियति यचों के वायुकायिक जीयों के जैसे धार शरीर होते हैं। (मणु: आउतेउ वणसंइकाइयाणऽवि एए चेव तिणि सरीरा भाणियवा) मा प्रभावी અપ્રકાયિક, વૈજકાયિક અને વનસ્પતિકાયિક જીના પણ એજ ત્રણ શરીર Megan R. (बाउकाइयाणं भंते ! कइ खीरा पण्णत्ता ) 3 मत! वायुयिवाना Rai शरीर खाय छ ? (गोयमा) 3 गीतम! (चत्तारि स्वरोरा पण्णत्ता) पायिः वानी ॥२ शरी३॥ . . (तं महा) : प्रभारी छ ओरालिए वेउविए, तेयए, कम्मए.) मोहारि, वैठिय, तेस सर आम बेइंदियवेइंदियबउरिदियाणं भते । कइ खरीरा पण्णत्ता') के सत में ઇન્દ્રિયવાળા ત્રણ ઇન્દ્રિયવાળા અને ચાર ઈન્દ્રિયવાળા જીવોના કેટલા શરીરે डाय? (गोयमा !) 3 गौतम! (सओ शरीरा पण्णचा) र शरीर डाय छे. (तं जहा) १ मा प्रमाणे छे. (ओरालिए, तेयए कम्मए) मोह , ते अन आम, (पंचेदियतिदिक्खजोणियाण जहा वाउकाइयाणं) पयन्द्रियतिय. योना वायु४ि वानी कम या शरी। . (अणुस्खाणं पुच्छा)
अं०४८