________________
३१२
अनुयोगद्वारसूत्रे कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञता ? गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण षण्मासान् । अपर्याप्तकचतुरिन्द्रयाणां पृच्छा, गौतम | जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेणापि अन्तर्मुहूर्त्तम् । पर्याप्तकचतुरिन्द्रयणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्त. मुहूर्तम् , उत्कर्षेण षण्मासान , अन्वर्षहौनान् । पञ्चेन्द्रियविर्यज्योनिकानां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रभाता ? गौतम जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कर्षेण त्रीणि पुच्छा-गोषमा जहण्जेणं अंतो मुहुत्त उक्कोसेण अंतोमुहुत्तूणाई एगूण पण्णासं राइंदियाई ) पर्याप्तक तेन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य से तो अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट से अन्तर्मुहूर्त कम ४९ दिन की है। (चरिदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदन्त ! चौइन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है?
उत्तर-गोयमा ! जहणणं अंतो मुहत्तं उक्कोसेणं छम्माखा) हे गौतम ! जघन्य से तो अन्तमुहर्त की कही गई-है और उत्कृष्ट से छह महिने की गई है। (अपजत्तगवउरिदियाणं पुच्छा-गोयमा जहण्णण वि अंतोमुखतं उक्कोसेण वि अंतोमुत्तं) अपर्याप्तक चौईन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य से भी अन्तर्मुहूर्त की कही गई है और उत्कृष्ट से भी अन्तमुहूर्त की कही गई है । (पज्जत्तगचाउरिदियाणं पुच्छा-गोयमा! जहण्णे ण अंगोमुत्तं उकोसेणं अंगोमुहूत्तूणा छम्मासा)पर्याप्तक चौइन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य से तो अन्तर्मुहत की है-और उस्कृष्ट से अंतमुहूर्त छे. (पज्जचगतेइंद्रियाण पुच्छा-गोयमा ! जहणेण' अंतोमुहुत्तं उनकोसेण' अंतोमुहुत्तूणाई एगणपण्णासं राइंदियाई) ५il न्द्रिय वन स्थिति જઘન્યથી તે અન્તમુહની છે અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ અન્તમુહૂર્ત કમ ४६ सिटी छ. (चउरिदियाण भं! केवइयं कालं ठिई पण्णता) १ . ભદત! ચ ઈન્દ્રિય જીવોની સ્થિતિ કેટલા કાલની કહેવામાં આવી છે?
उत्तर-(गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुत्तं उक्केसेणं छम्मासा) गौतम.! જઘન્યની અપેક્ષાએ તો અન્તર્મુહર્તાની કહેવામાં આવી છે અને ઉત્કૃષ્ટની अपेक्षा छ भासनी अवाम मावी छ. (अपज्जत्तगचउरिदियाणं पुच्छागोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुत्तं उक्केसेण वि अंतो मुदत्त) अपर्याप्त योન્દ્રિય જીવોની સ્થિતિ જઘન્યની અપેક્ષાએ પણ અતર્મુહૂર્ત જેટલી કહેવામાં આવી છે. અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ પણ અન્તર્મહત્ત જેટલી કહેવામાં सावी छे. (पज्जत्ताचउरिदियाणं पुच्छा-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुत्तूणा उम्मासा) पर्याप्त यौन्द्रिय वानी स्थिति सधन्यनी અપેક્ષાએ તે અન્તર્મુહૂ જેટલી છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી અંતમુહૂર્ત કમ છ