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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असरकमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३२५ मनुष्याणां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः पक्षप्ता : ? गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूतम्, उत्कर्षण त्रीणि पल्योपमानि। संमूछिममनुष्याणां पृच्छा गौतम ! जघन्येनापि अन्तर्मुहर्तम, उत्कर्षेणापि अन्र्मुहूतम् । गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अन्तर्गतम्, उत्कर्षग त्रीणि पल्योपमानि। अपयोप्त गभव्युत्क्रान्तिकमनुष्याणां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? (मणुस्साणं भंते ! केवश्य कालं लिई पण्णता?) हे भदन्त ! मनुष्यों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
उत्तर-(गोयमा ! जहन्नेणं अंगोहत्तं उक्कोसेणं तिणि पलिओच. माई) हे गौतम | जघन्य से अन्तर्महत की और उत्कृष्ट से तीन पत्योपम की है। (समुच्छिममणस्खाणं पुच्छा-गोयमा ! जहण्णण वि अंतोसुकृत उस्कोलेणं वि अंतोनहत) समुच्छिम जन्मवाले मनुष्यों की स्थिति हे गौतम! जघन्य भी अन्तमुहूर्त की है और उस्कृष्ट से भी अन्तर्मुहूर्त की है। (गम्भवतियमणुस्साणं पुच्छा-गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोलेणं तिणि पलिओवमाई) गर्भजमनुष्यों की स्थिति हे गौतम! जघन्य से अंतर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट से तीन पल्पोपम की है। (अपज्जतगगभवतियमणुस्साणं भंते! केवइयं कालं ठिईपण्णता?) हे अदन्त अपर्याप्तकगर्भज मनुष्यों की स्थिति कितने काल की कही गई है ?
ही छ त। सार ५७i मापी गयो छे. (मणुस्साणं भंते ! केवइयं कालं कि पण्णता ) RT! भायसोनी स्थिति बनी पाम भाव
उत्तर-(गोयमा ! अंतोमुत्तंउकोसेणं तिण्णि पलिओवमाई) गीतमा જઘન્યથી અન્તમુહૂર્તની અને ઉત્કૃષ્ટથી ત્રણ પપમ જેટલી છે. તે च्छिममणुस्साणं पुच्छा-गोयमा । जहणेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि मुहत्त) सभूमि भा॥ भासानी स्थिति के गौतम न्या ક્ષાએ પણ અંતમુહૂર્તની છે અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ પણ અને २ही . छे. (गन्भवक्कंतियमणुत्साणं पुच्छा-गोयमा ! जहन्मेण al
। अंतोमुहुरू उकोसेण' तिणि पलिओचमाई) - भाथसानी स्थिति જઘન્યની અપેક્ષાએ અંતમુહૂર્તની છે અને ઉત્કૃષ્ટની અપેક્ષાએ ત્રા ५मनी छे. (अपज्जत्तगगभवतियमणुस्साण भंते ! केवइयं । पण्णत्ता ) 3 R ! मर्यात र भनु यानी स्थिति કહેવામાં આવી છે?
केवइयं कालं ठिई ની સ્થિતિ કેટલા કાલની