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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०५ अद्धापल्योपमस्वरूपनिरूपणम् .....२७३
अथ अदापल्योपमं निरूपयति
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मूलम्-से कि तं अद्धापलिओवमे ?, अद्धापलिओवमेदुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुहुम यं वावहारिए य। तत्थ पण जे से सुहुमे से ठप्पे। तत्थ णं जे से वावहारिए से जहा नामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं, जोयणं उडू उच्चत्तण तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं। से गं पल्ले पगाहिय बेयाहियः तेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोड़ीणं। ते णं वालग्गा णो अरगी डहेज्जा, जाव. णो पलिविद्धंसिज्जा, नो पूछताए हत्वमागः च्छेज्जा। तओणं वाससए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लवे निहिए भवइ, से तं वावहारिए अद्धापलिओवमे। एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भविज्ज दसगुणिया। तं वावहारियस्स अद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परिमाण॥१॥ एएहि वावहारिएहिं अद्धापलिओवमसागरोवमेहि उद्धार सागरों से द्वीप समुद्रों का प्रमाण जाना जाता है। अढाई उद्धार सांगरों अथवा पच्चीस कोटीकोटि उद्धार पल्यों के जितने रोम खण्ड होते हैं, उतने ही द्वीपसमुद है । यह बात सूक्ष्म उद्धार सागरों से अथषा उद्धारपल्यों से जानी जाती है। सूत्र में जो 'ते णं वालग्गा ऐसा पाठ आया है उसे प्रथमान्त और द्वितीयान्तरूप से सूत्रकार ने अपनी इच्छानुसार रक्खा है ॥ सू० २०४॥ સાગરાથી દ્વીપ સમુદ્રોનું પ્રમાણ જાણવામાં આવે છે. અઢી સુક્ષમ ઉદ્ધાર સાગર અથવા ૨૫ કેટી કેટિ ઉદ્ધાર પશે એટલે . રમખંડ હોય છે, તેટલા જ દ્વીપ સમુદ્ર છે. આ વાત સૂક્ષ્મ ઉદ્ધાર સાગરોથી અથવા ઉદ્ધાર पक्ष्या १3 Rs आवे छे. सूत्रमा २... तेणं वालग्गा' A. Mit..18, છે, તેને પ્રથમ અને દ્વિતીયાન્ત રૂપમાં સૂત્રકારે પિતાની ઈચ્છા મુજબ જ રાખે છે. સુ૦૨૦