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अनुयोगद्वारसूत्रे योविसंघातनकालो भिन्नः, अतः स सपयो न भवति । कस्तर्हि समयः ? इत्याहहे श्रमणायुष्मन् ! इतोऽपि च खलु मूक्ष्मतरः समयः प्रज्ञप्तः संघाविसंघातनकालादपि सूक्ष्मतरः समयो बोध्य इत्यर्थः । ननु पयनन्तैः परमाणुसंघातैः पक्ष्म निर्वय॑ ते, ते संघाताच क्रमेणैव छियन्ते, तāकस्य पक्षमणो विदारणेऽनन्ताः सम या व्यतियन्ति, एतच्चागमविरुद्धम् , आगमे हि-असंख्येयासु उत्सर्पिण्यवनपिणीषु असंख्येयसमयानामेव प्रतिपादनात् । उक्तं च(अण्णमिकाले उरिल्ले संघाए विसंघाहज्जइ अण्णमि काले हिटिल्ले संघाए विसंघाइज्जई) ऊपर का संघात अन्यकाल में पृथक हुआ है
और नीचे का संघात अन्यकाल में पृथक् हुआ है। (तम्हा) इसलिये (से समए न भवइ) वह समय नहीं है । तो फिर समय क्या है? ___ उत्तर-(समणाउसे) हे श्रमणायुष्मन् ! (एत्तो वियणं सुहुमतराए समए पण्ण) इससे भी समय सूक्ष्मतर कहा गया है। अर्थात् संघात के विसंघातन काल से भी समय सूक्ष्मतर होता है ऐसा जानना चाहिये।
शंका-यदि अनन्त परमाणु संघातों से एक पक्ष्म निष्पन्न होता है और वे संघात क्रमशः ही छिन्न होते हैं तो ऐसी मान्यता में ऐसी बात मानना चाहिये कि एक पक्ष्म के विदारण में अनन्त समय लग जाते हैं- । परन्तु ऐसी बात मानना आगम के विरुद्ध पड़ती है क्यों कि असंख्यात उत्सपिणियों अवसर्पिणियों में असंख्यात समयही होते हैं ऐसा आगम में प्रतिपादन किया गया है। उक्तंच "अस खेअण्णभि काले हिदिल्ले संघाए विसंघाइज्जइ) 6५२ सात अन्यसमा प्रय ययेद छ सर नीयन। सात अन्यालमा १५५ ये छे. (तम्हा) मेरा भाटे (से समए न भवइ) a समय नयी पछी समय शुछ?
उत्तर-(समणा उसे) ७ श्रमायुकभन्। (एचोऽवि यण सुहुमतराए समए mો એના કરતાં પણ સમય સૂક્ષમતર કહેવામાં આવ્યો છે-એટલે કે સંઘાતના વિસઘાતન કાલ કરતાં પણ સમય સૂક્ષમતર હોય છે. આમ જાણવું જોઈએ.
શકા-જે અનંત પરમાણુ સંઘાતે વડે એક પક્ષમ નિષ્પન્ન થાય છે ... માતા અનુક્રમે જ છિન્ન થાય છે તે એવી સ્થિતિમાં આ વાત માનવી જ જોઈએ કે એક પક્ષના વિદારણમાં અનંત સમય લાગે છે. પરંતુ આ વાત આગમ વિરૂદ્ધ છે, કેમકે અસંખ્યાત ઉદસર્પિણીઓ, અવસર્પિણીએ.માં અસંખ્યાત સમયે જ હોય છે. એવું આગમમાં પ્રતિપાદન કરવામાં