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अनुयोगचन्द्रिका टीका सू २०२ समयस्वरूपनिरूपणम् पुनः शिष्यो पृच्छति-यावताकालेन तेन तुन्नवायदारकेण उपरितन प्रक्ष्म छिन्नम् , स समयो भाति ? गुरुराइ-न भवति । कस्मात् ? यस्मात् अनन्तानां संघाताना पक्षमसूक्ष्वावयवानामेकपरिणामरूपाणां समुदयसमितिसमागमेन समुदायस्य । सम्यक्संयोगेन एकं पक्ष्म निष्पन्नं भवति । तत्रोपरितने संघाते अविसंघातिते अपृथक्कृतेऽवस्तनः संघातो न विसंघात्यते-पृथविक्रयते । उपरितनाधस्तनसंघातसमए न भवइ) इसलिये वह समय नहीं हो सकता है । (एवं वयंतं पण्णवयं चोयए एवं वधासी) इस प्रकार उत्तर देनेवाले गुरु जन से प्रश्न कर्ता शिष्य ने ऐसा पूछा कि (जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदारएणं नरस तंतुस्स उवरिल्ले पम्हे छिन्ने से समए भवइ) तो क्या जितने समय में उस तुन्नाकदारक ने उस तंतु के उपरितन रोम को छेदा है वह समय है ?
उत्तर--(न भवा) वह समय नहीं है, (कम्हा) क्यों नहीं है ? जम्हा) क्योंकि (अणंताणं संघायाणं समुदयसमिइसमागमेणं एगे
निफज्जइ) अनंतसंघातों का-पक्ष्म सूक्ष्म अवयवों का-जो समु. समिति का एकपरिणामरूप संयोग है-उससे वह एक पक्ष्म निष्पन्न
ता है । सो (उवरिल्ले संघाए अविसंघाइए हेडिल्ले संघाए न विसम जह) जब तक ऊपर का संघात पृथक् नहीं होगा तब तक नीचे
संघात पृथकू नहीं हो सकता। इस प्रकार यह मानना चाहिये कि
समय न भवइ) मेटा माटे ते समय । नही (एवं वयंत नवयं चोयए एवं यासी) या प्रमाणे उत्तर मापना२ ४३ने प्रश्न उत्ती न्य मा ततना ५.४या है-(जेणं कालेण' तेण तुण्णागदारपण तस्स नस उवरिल्ले पम्हे छिन्ने से समय भवइ १) त रेखा समयमा त તનાકદારકે તે તંતુના ઉપરિતન રામનું છેદન કર્યું છે તે સમય છે?
उत्तर-(न भवइ) ते अभय नथी (कम्हा) भ नथी? (जम्हा) उभ (अणताण संधायाण समुदयसइिसमागमेण एगे पम्हे निष्फज्जइ) मनत સાતેના-પક્ષમ સૂક્ષ્મ અવયના-જે સમુદાય સમિતિના એક પરિણામ રૂપ अयोस छ, तनाथी त मे ५६ पिन याय छे. तो (वरिल्ले संधाए अविसंघाइए हे टेल्ले संघाए न विसंघाइज्जइ) च्या सुधी ५२ने। Ala , થયો નથી ત્યાં સુધી નીચે સંઘાત પૃથક થઈ શકે જ નહીં. આ પ્રમાણે मा. भान
है (अण्णमि काले उवरिल्ले संघाए विसंघाइजह