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अनुयोगद्वार विशेषश्चायमत्र-त्रीन्द्रियाणां बहिद्वीपवर्तिकर्ण शृगाल्यादीनां शरीरावगाहना गच्यूत-. त्रयपरिविना बोध्या । चतुरिन्द्रियाणां बहिद्वीपवर्तीनां भ्रमरादीनां शरीरावगाहना गन्यूतचतुष्टयपरिमिता बोध्या ॥ सू० १९७ ॥ ___ मूलम्-पंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं भंते! के महालिया सरीरोगाहणा पण्णता ? गोयमा! जहणणेणं अंगुलस्स असंखे. ज्जहभागं, उकोसेणं जोयणसहस्सं। जलयरपंचेदियतिरिक्खन जोणियाणं पुच्छा, गोयमा! एवं चेव! संमुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! जहण्णणं अंगुलस्स.. असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं। अपजत्तगसंमुच्छिअसंखेज्जहभाग, पजत्तगाणं जहन्नेणं. अंगुलस्स असंखेजहभागं सकोसेणं चत्तारि गाउयाई) अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य अवगाहना का प्रमाण और उत्कृष्ट अवगाहना का प्रमोण अंगुल को असंख्यातवां भाग है। तथा पर्याप्तक.चतुरिन्द्रिय जीवों की अवगाहना का प्रमाण जघन्य से अंगुल का असंख्यातवां भाग है और उत्कृष्ट से चार कोस का है। यह चार कोस का अवगाहना प्रसापा: ढाई बीप सें बाहिर के बीयों में रहने वाले भ्रमर आदि जीवों की अपेक्षा कहा गया जानना चाहिये। हीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रियाजीवों में वादन भेद ही होता है-सूक्ष्म भेद नहीं। इसलिये यहां सक्षम भेद की अपेक्षा से कोई भी विचार नहीं किया गया है। सूत्र १९७" वि..अंगुलरस असंखेज्जइभाग, पज्जत्तगाणं जहम्नेणं अंगुलस्स, . असंखेज्जइभाग उकोसेणं चत्तारि गाउयाई) सपर्यास तुन्द्रयवानी.य: ना
Any, अन Bre: साइनानु प्राय: खना असभ्याता, ALL શુનું છે. તેમજ પર્યાપ્તક ચતુરિન્દ્રિય છની અવગાહનાનું પ્રમાણ જઘન્સથી અંગુલના અસંખ્યાતમા ભાગનું અને ઉત્કૃષ્ટથી ચાર ગાઉ જેટલું છે. આ ચાર ગાઉ જેટલું અવગાહના પ્રમાણ અઢી દ્વીપથી બહારના દ્વીપમાં રહેનારા ભ્રમર વગેરે ની અપેક્ષા કહેવામાં આવ્યું છે તેમ જાણવું જોઈએ શ્રીન્દ્રિય, ત્રીન્દ્રિય અને ચતુરિન્દ્રિય જીવમાં બાદર ભેટ જ હોય છે, સૂક્ષમ ભેદ હેતે નથી એટલા માટે અહી સૂમ ભેદની દૃષ્ટિએ કેઈ પણ જાતને विचार. ४२वाम माव्या नथी. ॥सू०१८७॥