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अनुयोगद्वारसूत्रे गन्धपट्टकच, प्रवालो विद्रुमः, एतदादीनां द्रव्याणां प्रतिमानप्रमाणनिर्वृत्तिलक्षणं = प्रतिमानप्रमाणाम्य या, नि चिनिष्पति तस्यालक्षण-परिज्ञान भवति । एतदुपसंहस्नाह-तदेतत् प्रतिमान पित्ति । इत्थं मानादि, प्रतिमानान्ताः पश्चापि विभाभनिष्पनभेदा निरूपिता इति सूचयितुमाउ-देतत् :विवागनिष्पन्न मिति इत्थं प्रदेश निम्पन्न विभागनिष्पनयोनिरूपणेना द्रव्यप्रमाण निलपितमितिः सूचयितुमाहतदेतद् द्रव्यप्रमाणमिति ॥ ०१९१॥ - .::rix ' ... !::: 7 - सत्ता एएणं पडिमाणप्पमाणेण सुर्वणरजतमणिमोत्तियसंख सिलपवालाईण दवाण पडिमाणप्पमानिन्वितिलक्खण भवई इस प्रतिमान प्रमाण से सुवर्ण, रजत, मणि, मौक्तिक, शंख, शिला, प्रवाल,
याविद्रव्यों के प्रतिमान प्रमाण की निष्पत्ति का ज्ञान होता है । मणि शब्द से यहां चनकान्त सूर्यकान्त आदि मणियाँ गृहीत हुई हैं। मौक्तिक से मुक्ता, शंख से रत्न विशेषरूप शंख, शिला से राजपक और
पटक एवं प्रवाल से विदुम भूगा ये लिये गये हैं। स ते पडिमांणे-से विभागनिष्फपणे-से तं व्यापमाणे इस प्रकार यह प्रतिमान प्रमाण
स्वरूप है.। मानादि प्रमाण से लेकर प्रतिमान प्रमाण तक के पांचों मदों का जो कि विभाग निष्पन्न द्रव्यप्रमाण के भेद हैं निरूपण हो का इस प्रकार प्रदेश निरूपन और विभागनिष्पन्न भेदों के निरूपण
न या जानना चाहिए । ०१११॥ उत्तर-(एएण पडिमाणपमाणेणं सुवर्पणरजतमणिमोचियसखसिलपवालावाणं पडिमाणप्पमाणनिन्वितिलक्खणं भवइ) मा प्रतिमान प्रभाथी
भय, भौतिश पासवगरे यांनी प्रतिभा प्रभा. અવ ત્રિીનું સીન ધાર્યું છે. અહિં "શબ્દથી અહીં ચકત; સૂર્યકાંત
नाहीत थर्थ माया भुता; शमयी इस विशेष વિજ પ અને ગર્વપટ્ટી અને પ્રવાલથી વિÉમ ગૃહીત થયેલ છે.
पडिमाणे-से तं, विभागनिप्पण्णे-से । देवप्पमाणे) भ प्रभाव मा
પ્રમાણ વરૂપ છે તેની માણથી અમીને પ્રતિમાનું પ્રમાણ મુસિપી દો કે જેમાં વિભાગ નિદર્ય પ્રમાણુના લે છે તેનું સુકી ગયું છે. આ પ્રમાણે પ્રદેશ નિપજ અને વિભાગ નિષ્પન્ન adiva tiece 8 Pic - - રીના દિવ્ય પ્રમાણુ* નિરૂપિત થઈકાલ છે
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से लेकर प्रतिमान प्रम
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और विभांगनिष्पन्न
गया जानना.चाहिए
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હમ સક્ષમ