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१०४ . ........ .. . अनुयोगद्वारसूत्रे इष्टकादि-राशिः, रचितं मासादपीठादिक, ककचितं करपत्रविदारितं काष्ठादिक, कटपटौ प्रसिद्धौ मिति: कुडचम् परिक्षेपः परिधिः भित्यादेः, नगरपरिखादिर्ता, एसंश्रितानां द्रव्याणां खातादीनामित्यर्थः, अभेदेऽपि भेदकल्पनया खातादिसंश्रितानां द्रव्याणामित्युक्तम्, अवमानप्रमाणनितिलक्षणं अवमानप्रमाणत्वपरि
ज्ञानं भवतिः। एवंदुषसंहरलाइ तदेववमानमिति।. ... .. . ....... अथ किं तद् गणिमम् ?-गण्यते संख्यायते यत्तदू. गणिमम्। रूप्यकादि,
गण्यते संख्यायते चस्वनेनेति : गणिमम् एकद्वयादिकम् , इति कसकरणोभयुकूपादिक खातं कहलाते हैं । इष्टकादि-ईट आदिकों से बना ये हुए
मादपीठादिक्र. चित कहलाते हैं। करोत से विदारित:काठादिक्क कचित कहलाते हैं। कटः नामः: चटाई का और. पट: नाम
का. है। भीत-का: नासा... भित्ति है। भीत: : की परिका नाम परिक्षेप है। अथवा . नगर की जो खाई होती है उसका परिक्षेप है। इनमें संश्रित खातादिरूप द्रव्यों के प्रमाण की परिहोता है। अभेद् मे भी भेद की कल्पना से खातादि संश्रिता ri ऐसा पाठ सूत्रकार में कहा है। अर्थात् ये खातादिक द्रव्य नालिका प्रमाण हैं, ये गृह इतने हाथ-प्रमाण हैं, यह खेत इतने प्रमाण है इत्यादि रूप से खातादिकों के अवमान प्रमाण का जान होता है । (सेतू अवमाणे) इस प्रकार यह अवमान प्रमाण कि मणिमें) हे भदन्त । वह गणिम प्रमाण क्या है ? (जपण गणिमें):::
: : - उत्तर जो गिना जावे वह गणित है। ऐसा वह गणिम रूपयक आदि जानना चाहिये । अथवा-जिसके द्वास वस्तु गिनी जावे वह
थीनिमित- भासा कोन यितामा आवे छे...१२वत 4 કચ કાષ્ઠાદિક કેકચિત કહેવાય છે અને પટનામ વસ્ત્રનું છે ભીંતનું - દ્વિતિ છે. ભીંતની પરિધિનું નામ : પરિક્ષેપ છે અથવા નગરની જે બા હોય છે તેનું નામ પરિક્ષેપ છે અમાં સંશ્રિત ખાતાદિ રૂપ દ્રવ્યોના
परिज्ञान डाय छे. असेमा पहनानाथी " खातादि संश्रिव्याणाम् ." Aandal 18 सूत्रा२३.४ामा छ मेट સહક દ્રવ્ય આટલી નાલિકા જેટલું છે, આ ઘર એકલા હાથ પ્રમાણ છે, આ આ આટલા પ્રમાણ છે, વગેરે રૂપથી ખાતાકિના અવસાણું પ્રમાણુનું - आय छ. (से तं अवमाणे) न भाये l अवमान प्रमाण है.
गणिमे) विभप्र.शु. १ (जपणं गणिज्जइ गणिमें)
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